Last Updated: Monday, September 17, 2012, 16:56
नई दिल्ली: भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रश्दी भारत की ओर से अपने साथ किए जा रहे बर्ताव से बहुत दुखी हैं ।
गौरतलब है कि भारत में विश्वविद्यालय की पाठ्यचर्या से रश्दी की किताबों को इस आधार पर हटा दिया गया है कि वह वास्तव में एक भारतीय लेखक नहीं हैं ।
एक समाचार चैनल को दिए एक साक्षात्कार में रश्दी से जब यह सवाल किया गया कि भारत के किस बर्ताव से आप दुखी हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सुना है कि किस तरह विश्वविद्यालय की पाठ्यचर्या से मेरी किताबों को हटा दिया गया है । वे कहते हैं कि मैं वास्तव में एक भारतीय लेखक नहीं हूं। क्या वाकई ऐसा है? किस तरह से? विदेशी खून कहां हैं ?’’ उन्होंने ‘जोसेफ एंटन’ नाम की अपनी उस किताब के विमोचन से पहले यह साक्षात्कार दिया है जिसमें उन दिनों की दास्तां बयां की गयी है जब विवादित उपन्यास ‘दि सैटेनिक वर्सेस’ लिखने के बाद उन्हें छुप-छुपकर जिंदगी बितानी पड़ रही थी ।
रश्दी ने कहा, ‘‘यह अपमानजनक है । भारतीय साहित्य के विकास में ये किताबें काफी प्रभावशाली रही हैं । कम से कम उन्हें पढ़ा जाना चाहिए ।’’ देश में ‘दि सैटेनिक वर्सेस’ पर पाबंदी के बाबत उन्होंने कहा कि बिना देखे हुए ही किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया और इससे उन्हें काफी हैरत हुई। (एजेंसी)
First Published: Monday, September 17, 2012, 16:56