`भारत-चीन बन सकते हैं विश्व शांति के आधार`

`भारत-चीन बन सकते हैं विश्व शांति के आधार`

शांतिनिकेतन : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन का सहयोग विश्व शांति और कल्याण के लिए एक आधार बन सकता है। विश्व भारती के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करने के बाद मुखर्जी ने कहा, भारत और चीन वैश्विक आदान प्रदान के चरण के मुहाने पर खड़े हैं, जहां विश्व कल्याण के लिए विचारों और संसाधनों का दोहन विश्व शांति और कल्याण का बड़ा आधार साबित हो सकता है। विश्व कवि रविंद्रनाथ ठाकुर ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।

1913 में रविद्रनाथ ठाकुर को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। वह साहित्य का नोबेल पाने वाले पहले गैर यूरोपीय थे। मुखर्जी ने कहा कि यह सेमिनार सिर्फ एक व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार मिलने का एक उत्सव भर नहीं है बल्कि विचारों के आदान प्रदान, सहयोग और बहु-संस्कृतिवाद की सम्भावना को याद करने का भी एक अवसर है।

मुखर्जी ने कहा, ठाकुर ने साम्राज्यवादी शासन में किए गए अत्याचार का जिक्र किया है। उन्होंने बौद्ध दर्शन के जरिए सीमा के आर पार अध्यात्म, अहिंसा और सहिष्णुता के विचार के आंदोलन का भी जिक्र किया है।

मुखर्जी ने कहा कि 1924 में टैगोर ने भारत और चीन के लोगों के कल्याण के लिए दोनों देशों के आपसी सहयोग का जिक्र किया था। राष्ट्रपति ने कहा, उनकी यह सोच दिवा स्वप्न नहीं थी। उनके जैसे दार्शनिकों ने हमें यह अहसास कराया है कि साहित्य, इतिहास और संस्कृति मानवता के सहज विचार का प्रतिनिधित्व करते हैं और देश की सीमा से पार तक जाते हैं। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, December 19, 2012, 22:43

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