Last Updated: Thursday, February 2, 2012, 10:49
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में वैश्विक समुदाय की इच्छाशक्ति की कमी की ओर इशारा करते हुए गुरुवर कोकहा कि भारत इस समस्या से निपटने के लिए चल रहे प्रयासों में सकारात्मक भूमिका निभाएगा। लेकिन यह सहयोग विकास के आधार और जिम्मेदारियों के समान वितरण की बुनियाद पर टिका होना चाहिए।
उन्होंने यहां टेरी द्वारा आयोजित 12वीं दिल्ली सतत विकास शिखरवार्ता में अपने संबोधन में कहा, ‘यह समझना जरूरी होगा कि फिलहाल इस समस्या से गंभीरता से निपटने में सामूहिक वैश्विक इच्छाशक्ति की कमी दिखाई देती है।
जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन में सहयोगात्मक सामूहिक कार्रवाई के लिए वैश्विक बातचीत के लिहाज से नये सिरे से गति प्रदान करने की जरूरत है।’ सिंह ने कहा, ‘मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भारत जलवायु परिवर्तन को लेकर चल रही बातचीत में सकारात्मक भूमिका निभाएगा।’
उन्होंने सतत विकास के संदर्भ में कहा कि कोई भी देश अलग अलग इस दिशा में उपलब्धि हासिल नहीं कर सकता। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन का खतरा गंभीर स्तर पर है और इस दिशा में विकसित और विकासशील सभी देशों के सहयोग की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखने की जरूरत है कि विकसित देशों में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन भारत जैसे विकासशील देशों की तुलना में 10 से 12 गुना ज्यादा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1992 में हुए ऐतिहासिक रियो पृथ्वी शिखर सम्मेलन को इस साल 20 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जिसने टिकाउ विकास और उसके महत्व की अवधारणा तय की। रियो में 20 साल पहले हुई घोषणा में कहा गया था कि मौजूदा और भविष्य की पीढ़ियों की जरूरत को देखते हुए विकास का अधिकार समानता से मिलना चाहिए।
पिछले साल दिसंबर में डरबन में हुई जलवायु शिखरवार्ता का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि क्योतो प्रोटोकॉल की अवधि बढ़ाने पर हुई सहमति महत्वपूर्ण उपलब्धि है। बाली कार्य योजना का संदर्भ लेते हुए सिंह ने कहा कि बाली में जिन मुद्दों पर सहयोगात्मक कार्रवाई की सहमति बनी थी उन पर प्रगति की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर वर्ष 2012 के लिए सतत विकास नेतृत्व पुरस्कार फिनलैंड की राष्ट्रपति तरजा हैलोनिन को प्रदान किया।
उन्होंने खुशी जताते हुए बताया कि भारत में बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है और 2011 की गणना के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2006 की तुलना में बाघों की संख्या में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सिंह ने उम्मीद जताई कि अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने की दिशा में भी इसी तरह काम किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी हर्ष जताया कि भारत के वन्य क्षेत्र में 1997 से 2007 तक करीब 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
शिखरवार्ता में केंद्रीय अक्षय उर्जा मंत्री फारुख अब्दुल्ला, पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन के अलावा टेरी के चेयरमैन आरकट रामचंद्रन, महानिदेशक आर के पचौरी आदि भी मौजूद थे।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, February 2, 2012, 16:22