Last Updated: Monday, May 6, 2013, 22:45

नई दिल्ली : लद्दाख में पिछले तीन सप्ताह से भारत और चीन के बीच चल रही तनातनी के समाप्त होने के एक दिन बाद भारत सरकार ने सोमवार को कहा कि चीन के साथ कोई ‘सौदेबाजी’ नहीं हुई है। दूसरी ओर चीन ने भी पुष्टि की कि ‘गतिरोध’ ‘समाप्त’ हो गया है लेकिन उसने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उस क्षेत्र में 15 अप्रैल से पहले वाली यथा स्थिति बरकरार रखी गई है या नहीं।
मतभेद को सुलझाने के लिए किसी भी तरह की ‘सौदेबाजी’ होने की अटकलों को खारिज करते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच यथा स्थिति बनाए रखते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थायित्व बनाए रखने के लिए बातचीत करने पर सहमति बनी है।
इस बीच चीन ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि भारत की सीमा में 19 किलोमीटर अंदर तक घुस आयी उनकी सेना 15 अप्रैल से पहले वाली स्थिति में लौट गई है या नहीं। उसने सिर्फ इतना ही कहा है कि ‘सफल वार्ता’ के माध्यम से ‘मतभेद की स्थिति को सुलझा’ लिया गया है।
बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक बयान में कहा, ‘सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में हुई घटना को सुलझाने को लेकर चीन और भारत एक समझौते पर पहुंच गए हैं।’
उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों के फ्रंटियर बल ने तियानन नदी घाटी इलाके के गतिरोध को समाप्त कर दिया है।’ हुआ ने कहा, ‘चूंकि दोनों पक्षों की सेनाएं पिछले महीने चीन-भारत की सीमा के पश्चिमी हिस्से में आमने-सामने आ गई थीं इसलिए, दोनों पक्षों ने आगे बढ़कर सहयोगी और रचनात्मक रवैया अपनाया है और सीमा-संबंधी प्रक्रिया, कूटनीतिक प्रयासों और सीमा रक्षा बैठकों के माध्यम से इसे सुलझा लिया है।’
नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पश्चिमी सेक्टर में भारत और चीन की सेना के बीच करीब तीन सप्ताह तक गतिरोध की स्थिति रहने के बाद दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 15 अप्रैल से पूर्व की स्थिति को यथावत कायम रखने पर सहमति जताई है।
इस आशय की घोषणा करने के साथ ही भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दिल्ली में यह भी कहा कि इसकी रूपरेखा तय करने और व्यवस्था की पुष्टि करने के लिए फ्लैग बैठकें हुई हैं।
प्रवक्ता ने आधिकारिक तौर पर विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की दो दिवसीय बीजिंग यात्रा की घोषणा भी की । वह नौ मई को चीन जाने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि खुर्शीद और चीन के विदेश मंत्री वांग यि के बीच परस्पर हितों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत होगी। दोनों के बीच चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग की प्रस्तावित नयी दिल्ली यात्रा पर भी विचार होगा।
सूत्रों ने इस बात को सिरे से खारिज किया कि हालिया चीनी घुसपैठ ‘सैन्य मसला’ था और कहा कि यह घुसपैठ संभवत: लद्दाख और अरूणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में भारत द्वारा अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के प्रयासों पर चीन की चिंताओं को सामने लाने के लिए थी।
यह पूछने पर कि क्या घुसपैठ के बाद भारत अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने के काम को बंद कर देगा उन्होंने कहा कि सरकार वही करेगी जो आवश्यक होगा। दशक में एक बार होने वाले सत्ता परिवर्तन के बाद चीन की
नवगठित सरकार द्वारा महज दो महीनों के भीतर अपनाया गया आक्रामक रूख सभी के लिए आश्चर्य की बात थी।
विवेचकों का कहना है कि इस कदम को उठाने और फिर बाद में वापस लेने का चीन की गोपनीय राजनीति प्रणाली पर क्या असर होता है यह देखना अभी बाकी है। (एजेंसी)
First Published: Monday, May 6, 2013, 20:38