Last Updated: Tuesday, April 10, 2012, 09:57
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत में आबादी के हिसाब से पहले से ही कम जल की उपलब्धता और कम होती जा रही है जिसे देखते हुए अपने स्वामित्व वाली भूमि से जितना चाहे भू-जल निकालने की छूट को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाए जाने की सख्त जरूरत है। सिंह ने यहां ‘ भारत जल सप्ताह’ का उद्घाटन करते हुए कहा, विश्व की 17 प्रतिशत आबादी भारत में है लेकिन उपयोग करने योग्य पेय जल मात्र चार प्रतिशत है। भारत में जल की कमी है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और शहरीकरण ने जल की आपूर्ति और मांग के अंतर को और चौड़ा कर दिया है। जलवायु परिवर्तन से जल की उपलब्धता की कमी और बढ़ सकती है और देश के जल चक्र को खतरा पैदा हो सकता है।
उन्होंने कहा, यही नहीं, अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्ट और नालों से बहने वाले मल से हमारे जल संसाधनों का प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा, भू-जल का स्तर तेजी से घटता जा रहा है जिससे उसमें फ्लोराइड, आर्सेनिक और अन्य रासायनों की मात्रा बढ़ रही है। देश में जल की भयावह स्थिति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सबके उपर दुर्भाग्य से अभी भी बड़े पैमाने पर खुले में शौच करने के प्रचलन ने जल को प्रदूषित करने में योगदान किया है।
उन्होंने साथ ही कहा कि खुले में शौच का प्रचलन जारी रहने के पीछे भी जल की कमी एक बड़ी वजह है। भू-जल के भारी दुरूपयोग पर चिंता जताते हुए सिंह ने कहा कि मौजूदा कानून भूमि के मालिकों को अपनी भूमि से जितना चाहे जल निकालने का अधिकार देते हैं। जल निकालने की सीमा के लिए कोई कानून नहीं हैं।
बिजली और जल के कम दाम के कारण भी भू-जल का घोर दुरूपयोग जारी है।’’ उन्होंने कहा कि दुलर्भ भू-जल संसाधन के इस्तेमाल को लेकर साफ कानूनी ढांचा बनाए जाने पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतर जल प्रबंधन व्यवस्था करने के रास्ते में मुख्य बाधा हमारे देश के वर्तमान संस्थागत और कानूनी ढांचे में कमी है जिसमें फौरी सुधार किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा, मौजूदा वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए जल संसाधन के संरक्षण की बेहतर योजना, विकास और प्रबंधन की दिशा में तुरंत कदम उठाने हैं।
उन्होंने खुलासा किया कि ऐसा सुझाव है कि जल संरक्षण और उपयोग के सामान्य सिद्धांतों को लेकर एक ऐसा व्यापक पंहुच वाला राष्ट्रीय कानूनी ढांचा बनाया जाए जो हर राज्य को जल संचालन का आवश्यक विधायी आधार उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि इससे देश के पैमाने पर एकीकृत और सुसंगत संस्थागत जल नीति को लागू करने में मदद मिलेगी। जल दुरुपयोग नियंत्रित करने के सिलसिले में सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय जल मिशन ने जल उपयोग दक्षता में 20 प्रतिशत सुधार का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि जल आपूर्ति बढ़ाने की सीमाओं को देखते हुए ऐसा किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस सबसे बढ़ कर भू-जल को वर्तमान में व्यक्तिगत मिलकियत समझे जाने की स्थिति से निकाल कर उसे ‘साझा संपत्ति संसाधन’ के रूप में बनाया जाना चाहिए।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 10, 2012, 15:27