Last Updated: Wednesday, April 17, 2013, 21:41
नई दिल्ली : सरभूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर मतभेदों के बीच सरकार गुरुवार को इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक में आम सहमति कायम करने की कोशिश करेगी। भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास विधेयक 2011 को लेकर पहली सर्वदलीय बैठक नौ अप्रैल को हुई थी जो बिना नतीजा रही। कार के साथ भाजपा, सपा और वाम मोर्चे के मतभेद उस बैठक में दूर नहीं हो सके थे।
सूत्रों ने बताया कि उसके बाद से ही ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं ताकि असहमति के बिन्दुओं को दूर किया जा सके। विधेयक में भूमि अधिग्रहण को लेकर उद्योग की समस्याओं को दूर करने का प्रस्ताव है । यह 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून को बदलकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास का प्रावधान करता है।
पिछले एक सप्ताह के दौरान रमेश इस विधेयक पर समर्थन जुटाने के लिए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली और माकपा नेता सीताराम येचुरी से मिले। भाजपा ने सुझाव दिया है कि अधिग्रहण की बजाय भूमि डेवलपरों को लीज पर दी जा सकती है क्योंकि इससे भूमि किसान के पास ही रहेगी और उसे नियमित वार्षिक आय प्राप्त होती रहेगी। सुषमा ने नौ अप्रैल की बैठक में कहा था कि यदि भूमि का इस्तेमाल उस उद्देश्य से नहीं होता, जिस वजह से वह लीज पर ली गई थी तो उसे किसान को वापस किया जा सकता है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 17, 2013, 21:41