भ्रष्टाचार के आरोप साबित हुए तो संन्यास: पीएम

भ्रष्टाचार के आरोप साबित हुए तो संन्यास: पीएम

भ्रष्टाचार के आरोप साबित हुए तो संन्यास: पीएम
(प्रधानमंत्री के विशेष विमान से) : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टीम अन्ना द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को सिरे से खारित करते हुए मंगलवार को ऐलान किया कि अगर उनके खिलाफ कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़े आरोप सही पाए गए तो वह सार्वजनिक जीवन से सन्यास ले लेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोयला ब्लाक के आवंटन में अनियमितताओं के बारे में तथ्यों को जाने बिना गैरजिम्मेदाराना तरीके से आरोप लगाए जा रहे हैं। म्यामांर से वापस लौटते हुए मनमोहन ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप यदि साबित हुए तो मैं अपना सार्वजनिक जीवन छोड़ दूंगा। वित्त मंत्री, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और अब प्रधानमंत्री के तौर पर मेरा लंबा सार्वजनिक जीवन एक खुली किताब है।

पीएम ने कहा कि मेरे और अन्य मंत्रियों के खिलाफ टीम अन्ना के भ्रष्टाचार के आरोप गैर जिम्मेदाराना और दुर्भाग्यपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री ने म्यांमार से लौटते वक्त संवाददाताओं से कहा, अगर मेरे उपर लगे आरोप सही साबित होते हैं तो मैं अपना सार्वजनिक जीवन छोड़ दूंगा।

सिंह ने कहा कि अगर इनमें रत्ती भर भी सचाई हुई, तो मैं अपने सार्वजनिक जीवन का त्याग कर दूंगा। इसके साथ ही जनता को इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि क्या देश में इस तरह की राजनीति से शासन होगा। टीम अन्ना के सदस्यों प्रशांत और शांति भूषण द्वारा पिछले सप्ताह लगाए गए आरोपों पर प्रधानमंत्री की यह पहली प्रतिक्रिया है। टीम अन्ना के सदस्यों ने प्रधानमंत्री के खिलाफ पहली बार भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उनके कोयला मंत्री के पद पर रहते हुए ब्लाक्स के आवंटन पर सीएजी की मसौदा रिपोर्ट का हवाला दिया।

सिंह ने उनके और उनके मंत्रिमंडल के 14 सदस्यों के खिलाफ टीम अन्ना द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण और गैरजिम्मेदाराना बताया। उन्होंपने रुपये में तेजी से गिरावट को चिंता का विषय बताया और कहा कि मुझे नहीं लगता कि हम कहीं भी 1991 की स्थिति के आस पास हैं।

उधर, टीम अन्ना के सदस्य व वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ उनकी टीम की ओर से लगाए गए आरोप गैरजिम्मेदाराना नहीं हैं। 2जी घोटाले में भी वह एक पक्ष हैं। कोयला खानों के आवंटन में जो घोटाला सामने आया है, वह भी ऐसे समय में हुआ, जब कोयला मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास था। समाचार चैनल `टाइम्स नाउ` से बातचीत में शांति भूषण ने कहा कि मैं नहीं समझता कि प्रधानमंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोप गैरजिम्मेदाराना थे। जब कोयला घोटाला हुआ तो इस मंत्रालय का प्रभार उनके पास ही था।
(एजेंसी)

First Published: Tuesday, May 29, 2012, 21:59

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