Last Updated: Wednesday, September 28, 2011, 13:53
नई दिल्लीः रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मंगोलियाई लोगों के आनुवांशिक गुणों के अध्ययन के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू की है. जिसके तहत मंगोलियाई नस्ल के लोगों की शारीरिक संरचना और आनुवांशिक गुणों का अध्ययन किया जाना है. इस अध्ययन का मकसद पहाड़ी इलाके में भारतीय सैनिकों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने का उपाय खोजना है.
भारत और किर्गिस्तान दोनों संयुक्त रूप से इसका अध्ययन करेगा. इसके तहत ऊंचाई वाले इलाकों के माहौल और मनुष्यों पर इसके असर का विशेष तौर पर अध्ययन किया जाएगा. इसे पूरा करने के लिए तीन साल की समय सीमा तय की गई है.
डीआरडीओ के प्रमुख और रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार डा. वी के सारस्वत ने कहा कि दरअसल हम भारतीय और मंगोलियाई नस्लों के आनुवांशिक गुणों का अध्ययन कर रहे हैं. इन दोनों नस्लों का मूल अलग-अलग है और वे आनुवांशिक रूप से एकदम भिन्न हैं. इस अध्ययन से हमें उन क्षमताओं के बारे में जानकारी मिलेगी जो इन दोनों नस्लों में हैं.
किर्गिस्तान में अध्ययन की सुविधा के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वहां के लोग मंगोलियाई नस्ल के हैं. इसलिए वह स्थान इसके लिए फिट है जहां से इस अध्ययन के लिए आंकड़े एकत्र किए जा सकते हैं. मंगोलियाई नस्ल चीन , मंगोलिया, जापान, किर्गिस्तान, उत्तर और दक्षिण कोरिया और थाइलैंड में प्रभावी है. हम इन दोनों नस्लों की मानसिक और शारीरिक क्षमताओं और उनके शरीर में प्रोटीन और अम्लों की मौजूदगी के अंतर का अध्ययन करना चाहते हैं. ताकि हम भारतीय सैनिकों को पहाडी इलाके में बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार कर सकें.
First Published: Thursday, September 29, 2011, 09:45