Last Updated: Tuesday, January 31, 2012, 13:00
बेंगलूर : इसरो विवाद में खुद की आलोचना के बाद संगठन के प्रमुख के. राधाकृष्णन ने मंगलवार को कहा कि विवादास्पद एंट्रिक्स-देवास करार पर जांच रिपोर्ट जरूरी मंजूरी हासिल करने के बाद जारी की जाएगी, जिसके चलते पूर्व इसरो प्रमुख जी. माधवन नायर और उनके तीन सहयोगी अंतरिक्ष विज्ञानियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई।
विवाद पर चुप्पी तोड़ते हुए राधाकृष्णन ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि अंतरिक्ष विभाग उच्चाधिकार प्राप्त समीक्षा समिति और उच्चस्तरीय दल की रिपोर्ट जारी कराने के लिए आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया अपना रहा है। जनवरी 2005 के एंट्रिक्स.देवास समझौते के अनेक पहलुओं की जांच के लिए समितियों का गठन किया गया था। नायर ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इस काम में तेजी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं इस कदम का स्वागत करता हूं। रिपोर्ट जल्दी जारी की जानी चाहिए और मुझे भरोसा है कि सच सामने आएगा। नायर ने यहां कहा कि इसमें रक्षा या इससे जुड़ी कोई बात नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि पूरे दस्तावेज को सार्वजनिक किया जाए। अंतरिक्ष विभाग के सचिव राधाकृष्णन पर नायर ने सरकार को दिग्भ्रमित करने और अपना निजी एजेंडा लागू करने का आरोप लगाया था।
करार पर पैदा हुए विवाद की जांच रिपोर्टों के आधार पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर और तीन अन्य वैज्ञानिकों के किसी भी सरकारी पद पर काबिज होने पर रोक लगा दी गई है। इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने नायर और तीन अन्य वैज्ञानिकों पर पूर्व में की गई अपनी कथित टिप्पणी पर उठे विवाद को हल्का करने के लिए कहा कि सरकार इन सभी को बहुत सम्माननीय मानती है। इससे पहले खबरों के मुताबिक नारायणसामी ने कहा था कि सरकार का फैसला वैज्ञानिक समुदाय को यह सख्त संदेश देने के लिए था कि कोई भी अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सरकार ने 10 फरवरी, 2011 को बीके चतुर्वेदी और प्रोफेसर रोड्डम नरसिम्हा की सदस्यता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समीक्षा समिति बनाई थी ताकि करार के तकनीकी वाणिज्यिक प्रक्रियात्मक और वित्तीय पहलुओं की समीक्षा की जा सके।
नरसिम्हा ने कहा कि वैज्ञानिकों को एक मौका मिलना चाहिए। यह अच्छी बात है कि रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। पहली बात यह है कि गलतफहमी दूर होनी चाहिए।
पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त प्रत्यूष सिन्हा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय टीम का गठन 31 मई, 2011 को किया गया था ताकि करार की जांच की जा सके और सरकारी अधिकारियों की चूक और आचरण संबंधी गतिविधियों का पता लगाया जा सके। कार्रवाई से नाराज नायर ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि उनके खिलाफ सरकारी पद हासिल करने पर लगाई गई रोक को हटाया जाए।
उन्होंने प्रधानमंत्री की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने का भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें बहुत अच्छी तरह जानता हूं। मुझे उनके साथ (अंतरिक्ष विभाग में सचिव के रूप में) करीब छह साल काम करने का मौका मिला। वह हमेशा सकारात्मक रहे। मुझे पूरा भरोसा है कि वह सही फैसला करेंगे।
जब नायर से पूछा गया कि क्या आदेश को वापस लिया जाएगा तो उन्होंने कहा कि पूरा देश विचार का समर्थन कर रहा है। ऐसा होना चाहिए।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 31, 2012, 18:30