मंत्रिमंडल में फेरबदल से पहले एस.एम. कृष्णा ने दिया इस्तीफा

मंत्रिमंडल में फेरबदल से पहले एस.एम. कृष्णा ने दिया इस्तीफा

मंत्रिमंडल में फेरबदल से पहले एस.एम. कृष्णा ने दिया इस्तीफानई दिल्ली : विदेश मंत्री पद से एस. एम. कृष्णा के इस्तीफे और सरकार छोड़कर कांग्रेस पार्टी के लिए काम करने की अंबिका सोनी एवं मुकुल वासनिक की पेशकश के साथ मंत्रिपरिषद में बड़े पैमाने पर होने जा रहे फेरबदल की उल्टी गिनती आज शुरू हो गई।

रविवार सुबह होने जा रहे फेरबदल में अभिनेता से नेता बने चिरंजीवी सहित कई नए चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना है। स्पष्ट तौर पर मंत्रिमंडल में होने जा रहे फेरबदल की जानकारी दिए जाने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके 80 वर्षीय कृष्णा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा भेजा। कृष्णा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।

साल 2009 में हुए आम चुनावों में संप्रग को मिली जीत के बाद कृष्णा को आश्चर्यजनक रूप से विदेश मंत्री का पद सौंप दिया गया था। अपने इस्तीफे के बाद कृष्णा ने कहा कि युवाओं के लिए मार्ग प्रशस्त करने और पार्टी को मजबूती प्रदान करने में नेतृत्व का हाथ बंटाने के लिए उन्होंने पद छोड़ा है। ऐसे संकेत हैं कि कर्नाटक में अगले साल मई महीने में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कृष्णा को राज्य में कांग्रेस की अगुवाई करने को कहा जा सकता है।

देर रात ऐसी खबरें आयीं कि सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी और सामाजिक न्याय मंत्री मुकुल वासनिक ने भी पार्टी के लिए काम करने की इच्छा जताई है और वह सरकार में अपना पद छोड़ने को तैयार हैं। राहुल गांधी सरकार में शामिल होंगे या नहीं, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। इस बीच, प्रधानमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से करीब एक घंटे तक विचार-विमर्श किया ताकि फेरबदल की कवायद को अंतिम रूप दिया जा सके। मंत्रिमंडल में होने जा रहे फेरबदल से पहले कुछ और मंत्रियों के पद छोड़ने की संभावना है।

संभव है कि यह मंत्रिमंडलीय फेरबदल साल 2014 के आम चुनावों से पहले इस तरह की आखिरी कवायद हो। अभिनेता से नेता बने चिरंजीवी को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना है। अपनी प्रजा राज्यम पार्टी के विलय के बाद 18 विधायकों की बदौलत आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार की स्थिरता सुनिश्चित करने के ईनाम के तौर पर चिरंजीवी को केंद्र में मंत्री पद दिया जा सकता है। एक और प्रस्ताव के बाबत अटकलें लगायी जा रही हैं जिसके तहत राहुल गांधी को कांग्रेस में महासचिव के मौजूदा पद से तरक्की देकर कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

कांग्रेस मनरेगा की तर्ज पर ‘आम आदमी’ तक अपनी और पहुंच कायम करने की कवायद में जुटी हुई है। गौरतलब है कि साल 2009 के आम चुनावों में पार्टी को मनरेगा योजना की वजह से काफी फायदा हुआ था। युवा मंत्रियों सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया को तरक्की देकर स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रालय सौंपे जा सकते हैं।

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि फेरबदल और मंत्रिमंडल में किसी को शामिल किए जाने का काम कमोबेश पार्टी से ही जुड़ा होगा। ऐसी भी अटकलें हैं कि राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले माणिका टैगोर और मीनाक्षी नटराजन मंत्रिपरिषद में शामिल किए जा सकते हैं। जिन मंत्रियों के पास दो या दो से अधिक मंत्रालयों का प्रभार है उनमें मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल (दूरसंचार), सड़क एवं परिवहन मंत्री सीपी जोशी (रेलवे), कानून मंत्री सलमान खुर्शीद (अल्पसंख्यक मामले), कंपनी मामलों के मंत्री एम. वीरप्पा मोइली (ऊर्जा) एवं प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री व्यालार रवि (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान) शामिल हैं।

तृणमूल कांग्रेस के छह मंत्रियों के इस्तीफे के बाद पश्चिम बंगाल से दो-तीन कांग्रेस नेताओं को मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने की संभावना है। पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी की पत्नी दीपा दासमुंशी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के धुर विरोधी अधीर चौधरी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य के नाम चर्चा में हैं।

विलासराव देशमुख की मौत के बाद महाराष्ट्र से भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में किसी का प्रतिनिधित्व नहीं है। कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय और कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल विपक्ष के निशाने पर आ चुके हैं। संभव है इनकी कैबिनेट से छुट्टी हो जाए। (एजेंसी)

First Published: Friday, October 26, 2012, 16:15

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