Last Updated: Thursday, March 21, 2013, 00:19

चेन्नई : तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री व द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी ने जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसीआरसी) में श्रीलंका के खिलाफ लाए जाने वाले अमेरिकी प्रस्ताव को कमजोर करने में भारत की भूमिका के कारण केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से खुद को अलग कर लिया। करुणानिधि ने कुछ मीडिया संगठनों की भी आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने संप्रग सरकार से बाहर होने के डीएमके के फैसले को लेकर दिए गए बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया।
करुणानिधि ने कहा, `पार्टी ने साफ तौर पर कहा है कि भारत सरकार ने श्रीलंका के खिलाफ लाए जाने वाले अमेरिकी प्रस्ताव को कमजोर करने में मदद दी। इसके अतिरिक्त अमेरिकी प्रस्ताव में संशोधन का जो सुझाव डीएमके ने दिया, केंद्र सरकार ने उस पर विचार नहीं किया। ऐसे में पार्टी ने संप्रग सरकार से अलग होने का निर्णय लिया।`
उन्होंने कहा कि डीएमके 47 सदस्यीय यूएनएचआरसी में लाए जाने वाले अमेरिकी प्रस्ताव में दो बदलाव कराना चाहती थी। पार्टी चाहती थी कि श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों के खिलाफ वर्ष 2009 में की गई अंतिम एवं निर्णायक कार्रवाई के दौरान वहां की सेना ने तमिलों पर जो जुल्म ढाए, उसे `नरसंहार` तथा `युद्ध अपराध` कहा जाए। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 21, 2013, 00:19