Last Updated: Thursday, May 17, 2012, 08:17
नई दिल्ली : पूर्वोत्तर क्षेत्र के मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा में उच्च न्यायालय स्थापित करने संबंधी एक विधेयक को आज संसद ने मंजूरी प्रदान कर दी। राज्यसभा ने संक्षिप्त चर्चा के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन और अन्य संबंधित काननू संशोधन विधेयक 2012 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
इस विधेयक के पारित होने से इन तीनों राज्यों में अलग अलग उच्च न्यायालय स्थापित होने का रास्ता प्रशस्त होगा। विधेयक में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा की राजधानियों क्रमश: इंफाल, शिलांग और अगरतला में पृथक उच्च न्यायालय स्थापित करने का प्रावधान किया गया है ताकि इन राज्यों की जनता को आसानी से शीघ्र एवं सस्ता न्याय उपलब्ध हो सके। अभी इन राज्यों में गुवाहाटी उच्च न्यायालय की पीठें काम कर रही हैं।
विधेयक पर हुयी चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने न्याय प्रक्रिया में देरी पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि देश के उच्च न्यायालयों में अभी न्यायाधीशों के 895 पद स्वीकृत हैं जिनमें 260 पद रिक्त हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति का अनुरोध कालेजियम से आता है।
उन्होंने खुशी जतायी कि इस विधेयक के जरिए पूर्वोत्तर क्षेत्र की ओर ध्यान दिया जा रहा है। जारी चिदंबरम ने कहा कि वह गोवा में उच्च न्यायालय स्थापित किए जाने और हरियाणा के लिए अलग उच्च न्यायालय बनाने की मांग से सहमत हैं। उल्लेखनीय है कि चर्चा में भाग लेते हुए सदस्यों ने ऐसी मांगें की थीं।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, May 17, 2012, 21:48