Last Updated: Friday, November 11, 2011, 13:09
मेवात (हरियाणा) : देश में
छह से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) को ठीक ढंग से लागू नहीं किए जाने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि शिक्षा एक ऐसा जादू है, जिसके सहारे हम अपने मनचाहे मुकाम तक पहुंच सकते हैं, इस दिशा में मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) संप्रग सरकार की महत्वपूर्ण पहल है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से आरटीई के संदर्भ में देशभर में जागरूकता फैलाने के लिए शुरू किए गए ‘शिक्षा का हक’ अभियान के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने बच्चों के नाम संदेश में यह बात कही जिसकी शुरुआत हरियाणा के मेवात में नूह स्थित एमडीए स्कूल से किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे समय में शिक्षा सुलभ और मुफ्त नहीं थी। बिजली नहीं थी, पक्की सड़के नहीं थी और अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। आज सरकार इस दिशा में काम कर रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में देश के प्रथम शिक्षा मंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने बच्चों से कहा कि आप खूब सवाल करें, खूब जवाब मांगे और खूब पढ़े क्योंकि शिक्षा एक ऐसा जादू है जिसके सहारे हम अपने मनचाहे मुकाम तक पहुंच सकते हैं।
इस अभियान के तहत देशभर में 13 लाख स्कूलों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का विशेष संदेश पढ़ा गया। इसकी प्रति सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को पहले से ही भेज दी गई थी। इस दिवस को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में भी मनाया जा रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सकल नामांकन दर का वर्तमान 12.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 2020 तक 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस दिशा में आरटीई को महत्वपूर्ण पहल बताया है।
प्रधानमंत्री के संदेश में कठिन परिश्रम से देश-दुनिया के समक्ष अपनी विशिष्ठ छवि बनाने वाले आजाद जैसी विभूतियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने गांव में स्कूली शिक्षा प्राप्त करने में उन्हें (प्रधानमंत्री को) पेश आई कठिनाइयों एवं चुनौतियों का भी उल्लेख किया। इस संदेश को मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डी. पुरंदेश्वरी ने पढ़ा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने कई मौकों पर पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में गेह बेगल (अब पाकिस्तान में स्थित) में स्कूली शिक्षा प्राप्त करने में पेश आई कठिनाइयों का उल्लेख किया है, जहां बिजली सड़क जैसी बुनियादी सेवाएं नहीं थीं। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि शिक्षा की कमी स्वास्थ्य एवं बाल कल्याण पर असर डालता है। इसके साथ ही माताओं का शिक्षित नहीं होना राष्ट्र के विकास के मार्ग में बाधक बनता है।
आरटीई को एक महत्वपूर्ण पहल करार देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि शिक्षा चार दीवारों के बीच आगे नहीं बढ़ाई जा सकती है। शिक्षा को व्यापक बनाने के लिए दीवारों को तोड़ना होगा और मन के दरवाजे खोलने होंगे। बालिका शिक्षा और साक्षरता के लक्ष्य को हासिल करना एक चुनौती है । इसके मार्ग में कई बाधाएं आयेंगी और यह आसान नहीं होगा। लेकिन समाज के सभी वर्गो के सहयोग से इस कार्य को हासिल करना होगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य में राज्यों को सहयोग देना होगा और सभी को एक साथ मिलकर इस लक्ष्य को हासिल करना होगा। केंद्र सरकार कानून बना सकती है, धन मुहैया करा सकती है, दृष्टि पेश कर सकती है लेकिन इस पर अमल करना राज्यों और स्थानीय प्रशासन का काम है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 11, 2011, 18:39