Last Updated: Wednesday, September 19, 2012, 16:51

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से सरकार के कड़े फैसले के बाद तृणमूल कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। टीएमसी के हटने से भी सरकार को कोई खतरा नहीं है। सरकार का अंकगणित क्या कहता हैं आइए जानते हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या मनमोहन सरकार टीएमसी के समर्थन वापसी के बाद रहेगी या गिर जाएगी। टीएमसी के फिलहाल 19 सांसद हैं।
आंकड़ों के अंकगणित के मुताबिक कांग्रेस के पास 205 सांसद, डीएमके के 18 सांसद,एनसीपी के 9 सांसद, राष्ट्रीय लोकदल के 5 सांसद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के 3 सांसद और अन्य 21 सांसद हैं। यानी कुल 261 सांसद होते हैं।
इसके अलावा सरकार को बाहर से समर्थन देने वालों दलों में सपा के 22 सांसद, बीएसपी के 21 सांसद और जेडीएस के 3 सांसद यानी कुल 46 सदस्य हैं। इन्हें जोड़ दें तो यूपीए के समर्थन में कुल 261+46 यानी 307 सांसद हो जाते हैं।
इस वक्त टीएमसी के 19 सांसदों के हटने के बावजूद सरकार की सेहत पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा। अब देखना यह है कि मायावती और मुलायम सरकार से समर्थन के मसले पर क्या फैसला लेते हैं।
अगर सपा भी अपने 22 सांसदों के साथ अलग हो जाए तो सरकार के हक में 307−22 यानी 285 सांसद रहेंगे। यानी सरकार की निर्भरता मायावती पर काफी बढ़ जाएगी।
लेकिन, अगर बीएसपी सरकार के साथ है और डीएमके अपने 18 सांसदों का समर्थन यूपीए से वापस ले लेता है तो 285 में से 18 घटाने पर सरकार को 267 सांसदों का ही समर्थन रह जाएगा और सरकार अल्पमत में आ जाएगी।
अगर बीएसपी मुखिया मायावती भी अपने 21 सांसदों के साथ अलग हो जाए तो सरकार के पास 285−21 यानी सिर्फ 264 सांसदों का समर्थन रह जाएगा। यानी सरकार सीधे अल्पमत में आ जाएगी।
ऐसे में सरकार को करुणानिधि यानी डीएमके से भी खतरा बना हुआ है। अगर करुणानिधि भी सरकार से समर्थन वापस ले लेते हैं तो सरकार का बने रहना किसी भी सूरते हाले में मुमकिन नहीं होगा।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता का रुख तो सरकार देख चुकी हैं। अब उसे मुलायम, माया और करुणानिधि का रुख देखना हैं कि वह सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला करते हैं या फिर कुछ और फैसला करते हैं।
First Published: Wednesday, September 19, 2012, 11:30