Last Updated: Friday, September 14, 2012, 22:55
नई दिल्ली: भ्रष्टाचार और महंगाई को लेकर चौतरफा घिरी और विभिन्न मोचरे पर आलोचनाओं का सामना कर रही केंद्र सरकार ने शुक्रवार को आर्थिक मोर्चे पर बहुत बड़ा नीतिगत फैसला किया। असमंजस की केंचुली उतार फेंकने का संकेत देते हुए उसने बहुब्रांड खुदरा बाजार में 51 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी। इसके अलावा उड्डयन क्षेत्र में एफडीआई का दायरा बढ़ाकर 49 फीसदी तक कर दिया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के पांच उपक्रमों में विनिवेश को मंजूरी देने का निर्णय लिया गया। साथ ही केंद्र सरकार ने शुक्रवार को पावर ट्रेडिंग एक्सचेंज में 49 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी।
केंद्र सरकार के इन फैसलों की घोषणा होने के साथ ही व्यापक विरोध भी शुरू हो गया। तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटल दिया है वहीं उसे समर्थन दे रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी कड़ा विरोध किया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जनता दल (युनाइटेड) ने फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरने का ऐलान करते हुए विरोध कर रहे संप्रग के सहयोगी दलों को सरकार से बासहर आने की चुनौती दे डाली है। उद्योग जगत ने हालांकि इस फैसले का स्वागत किया है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में शुक्रवार को ये फैसले लिए गए। इस फैसले से वालमार्ट और केयरफोर जैसी वैश्विक रिटेल कम्पनियों को भारत में अपने स्टोर खोलने का अवसर मिल जाएगा।
कई वैश्विक कम्पनियों के भारत में पहले से स्टोर हैं, लेकिन उन्हें सीधे आम लोगों को उत्पाद बेचने का अधिकार अब तक नहीं था। वे दूसरे स्टोरों को माल बेच सकते थे। अब वे आम लोगों को भी माल बेच पाएंगे।
मंत्रिमंडल ने पिछले साल नवम्बर में बहुब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई का फैसला कर लिया था। लेकिन विपक्ष और कुछ सहयोगी दलों के विरोध के कारण तब फैसले को स्थगित कर दिया गया था। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 14, 2012, 22:55