Last Updated: Wednesday, November 14, 2012, 21:16

नई दिल्ली/चेन्नई : केंद्र की संप्रग सरकार में शामिल द्रमुक ने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर अब भी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है और न ही यह स्पष्ट किया है कि किसी विपक्षी पार्टी की ओर से पेश किए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर उसका क्या रुख होगा। इस बीच, वाम दलों ने मत विभाजन के नियम के तहत इस विषय पर चर्चा कराने के लिए संसद के दोनों सदनों में नोटिस दे दिया है। मुख्य विपक्षी भाजपा ने भी कहा कि वह संसद में एफडीआई के मुद्दे पर सरकार के फैसले का विरोध करेगी और पार्टी ने ऐसे पर्याप्त संकेत भी दिए कि वह इस मुद्दे पर अन्य राजनीतिक दलों और राजग के अपने सहयोगियों के साथ एक संयुक्त रणनीति तैयार कर रही है।
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने में सिर्फ एक हफ्ता का वक्त रह गया है, ऐसे समय में द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि ने कहा कि एफडीआई के मुद्दे पर पार्टी का रुख एक ‘रहस्य’ है। लोकसभा में 18 सदस्यों के साथ संप्रग में शामिल दूसरे सबसे बड़े घटक दल द्रमुक का समर्थन प्रस्ताव पर मत विभाजन के वक्त सरकार के लिए निर्णायक होगा। करुणानिधि ने कहा, ‘तमिलनाडु के छोटे और मझौले कारोबारी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि एफडीआई उन पर काफी बुरा असर डालेगा। हम उनके हितों को ध्यान में रखते हुए ही इस बाबत कोई भी फैसला करेंगे।’
यह सवाल किए जाने पर कि द्रमुक एफडीआई के मुद्दे पर अपने रुख को लेकर रहस्य क्यों बनाए हुए है और संप्रग सरकार के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का क्या वह समर्थन करेगी, इस पर करुणा ने कहा, ‘मैंने 100 से ज्यादा फिल्मों के लिए पटकथा लिखी है। फिल्म तभी सफल होगी जब इसमें रहस्य होगा।’ जब करुणा से यह सवाल किया गया कि क्या द्रमुक वाम दलों और कुछ अन्य दलों की ओर से लाए जाने वाले प्रस्ताव का समर्थन करेगी, इस पर द्रमुक अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के संसदीय दल के सदस्यों से विचार-विमर्श के बाद ही इस पर द्रमुक के नजरिए को जाहिर किया जाएगा।
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने करुणानिधि के साथ सोमवार को बैठक की थी। हालांकि, दोनों पक्षों की ओर से यह नहीं बताया गया था कि उनके बीच क्या चर्चा हुई। इस बीच, सोमवार को चार वाम दलों की ओर से लिए गए एक संयुक्त फैसले पर कार्रवाई करते हुए माकपा ने आज कहा कि पार्टी ने दोनों सदनों में मत विभाजन के नियमों के तहत इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए दोनों सदनों में नोटिस दिया है। माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘दोनों सदनों में माकपा के सदस्यों ने नोटिस दिए हैं और हम चाहते हैं कि संसद में मत विभाजन के नियमों के तहत इस मुद्दे पर उचित चर्चा करायी जाए।’
उन्होंने कहा कि किसी भी ऐसे फैसले (मल्टी-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की इजाजत) को संसद का समर्थन लेना होगा और सरकार के यह कहने से काम नहीं चलेगा कि यह एक कार्यकारी फैसला है। येचुरी ने कहा कि सरकार यदि इस मुद्दे पर आगे बढ़ना चाहती है तो उसे संसद के फैसले को मानना पड़ेगा क्योंकि वह संवैधानिक मामलों में सर्वोच्च है। माकपा की ओर से राज्यसभा में येचुरी जबकि लोकसभा में बासुदेव आचार्य ने नोटिस पर दस्तखत किए। नोटिस में दोनों सदनों से मांग की गई है कि वह मल्टी-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की इजाजत देने के सरकारी फैसले को रद्द कर दें।
लोकसभा में कार्यवाही के नियम 184 और राज्यसभा में नियम 167 के मुताबिक किसी मुद्दे पर चर्चा के बाद मत विभाजन कराए जाने का प्रावधान है। माकपा, भाकपा, आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लॉक की सोमवार को हुई एक बैठक में ये प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया था। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने यहां कहा, ‘संसद के आगामी सत्र में हम सरकार के इस निर्णय का पूरी तरह विरोध करेंगे। यह फैसला देशहित में नहीं है।’ प्रसाद ने कहा कि संसद में खुदरा क्षेत्र में एएफडीआई के निर्णय के विरोध को असरदार बनाने की रणनीति तय करने के लिए राजग के घटक दलों के अलावा अन्य दलों से भी विचार विमर्श किया जाएगा।
पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि एफडीआई का विरोध करने वाले दलों के बीच अधिक से अधिक समन्वय स्थापित किया जाएगा। राजग में शामिल दलों की बैठक 21 नवंबर को होने की संभावना है जबकि 22 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। प्रसाद ने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर सरकार को घेरना चाहेंगे। नवंबर 2011 में तत्कालीन वित्त मंत्री ने लोकसभा में घोषणा की थी कि सभी संबंधित पक्षों से चर्चा करने के बाद ही मल्टी-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर कोई फैसला किया जाएगा। राज्यसभा में भी तत्कालीन वाणिज्य मंत्री ने ऐसा ही बयान दिया था।’ भाजपा ने कहा कि सरकार ने अपना वादा तोड़ा है और उसने एकतरफा तरीके से फैसला किया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 14, 2012, 21:16