‘महिला बैंक’ से नहीं मिलने वाला है न्याय : जस्टिस वर्मा

‘महिला बैंक’ से नहीं मिलने वाला है न्याय : जस्टिस वर्मा

‘महिला बैंक’ से नहीं मिलने वाला है न्याय : जस्टिस वर्माअलीगढ़ : उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस वर्मा ने ‘महिलाओं के लिए विशेष बैंक’ शुरू करने के कदम को ’लैंगिक न्याय और समानता’ की जरूरत को पूरा करने की दिशा में ‘टोकनवाद’ का परिचायक करार दिया है।

न्यायमूर्ति वर्मा ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कला संकाय के प्रमुख रहे केपी सिंह की याद में तीन साल पहले शुरू की गई वार्षिक व्याख्यानमाला में आज यहां कहा, ‘इस तरह के टोकनवाद से कुछ खास हासिल होने वाला नहीं है, जब तक कि शासन व्यवस्था और समाज की सोच में आमूल परिवर्तन नहीं लाया जाता है।’

उन्होंने कहा, ‘समाज में न्याय का सार तत्व निष्पक्षता है। साफ शब्दों में कहे तो सभ्य समाज घरों और परिवारों में वास्तविक लैंगिक न्याय की अवधारणा को मजबूत करने की अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता।’ न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा, ‘न्याय प्रणाली में जितना भी बदलाव कर ले, सामाजिक मान्यता और स्वीकृति के बिना कोई सार्थक बदलाव आने वाला नहीं है।’

उन्होंने कहा, ‘अगर शासन सत्ता के मौजूदा कानूनों और दिशा निर्देशों का सख्ती से क्रियान्वयन किया जा रहा होता तो देश की राजधानी में 16 दिसम्बर को जघन्य बलात्कार की जो घटना न हुई होती।’ देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दिल्ली गैंगरेप से एक बात जरूर अच्छी हुई है कि समाज और खासकर युवकों में उसके विरोध में जो तेज प्रतिक्रिया पैदा हुई और लैंगिक न्याय के लिए जो आंदोलन खड़ा हुआ, वह अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता दिखने लगा है।

न्यायमूर्ति वर्मा ने दिल्ली बलात्कार कांड के बाद ‘स्वयंभू धर्मगुरुओं और भगवानों’ की अतार्किक टिप्पणियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह उनके ‘संकुचित सोच’ और ‘दुराग्रह’ का प्रमाण है। उन्होंने समाज को हिला देने वाले दिल्ली बलात्कार कांड पर कतिपय राजनेताओं पर भी अतार्किक टिप्पणियां करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी टिप्पणियां उनकी दुराग्रही और दूषित सोच को ही दर्शाती है तथा हमारे समाज की सोच की ओर भी इशारा करती हैं। (एजेंसी)

First Published: Saturday, March 2, 2013, 18:07

comments powered by Disqus