महिलाओं के प्रति मानसिकता में परिवर्तन लाएं: प्रणब--Treat women with respect: President Mukherjee

महिलाओं के प्रति मानसिकता में परिवर्तन लाएं: प्रणब

महिलाओं के प्रति मानसिकता में परिवर्तन लाएं: प्रणब नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि महिलाओं का सम्मान और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए समाज की मानसिकता में परिवर्तन लाने की जरुरत है। मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के 44वें सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राज्यपालों का आह्वान किया कि वे महिलाओं की सुरक्षा में सुधार एवं कल्याण की दिशा में कार्य करें। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘समाज की मानसिकता में परिवर्तन लाने की जरूरत है ताकि महिलाओं के साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार हो।’’ मुखर्जी ने कहा कि यह बैठक दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा के साथ हुए वीभत्स बलात्कार की घटना के साये में हो रही है जिसने देश के सामूहिक अंतरात्मा को हिलाकर रख दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने न्यायमूर्ति वर्मा समिति की सिफारिशों पर त्वरित कार्रवाई की और आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2013 बजट सत्र में संसद में पेश किये जाने के लिए तैयार है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2012 के दौरान देश की आंतरिक सुरक्षा में सुधार हुआ है। उन्होंने हालांकि जोर देकर कहा, ‘‘हमें देश की एकता और अखंडता को कमजोर करने के लिए राष्ट्रविरोधी तत्वों की साजिश को विफल करने के वास्ते किये जाने वाले अपने प्रयासों में दृढ़ रहना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद निरोधक ढांचे को मजबूती प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता मजबूत रहनी चाहिए।’’ उन्होंने सीमा से सटे राज्यों से अधिक सतर्कता बरतने को कहा। उन्होंने कहा कि बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए सीमांत क्षेत्रों में आधारभूत विकास से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों में तेजी लाने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी कार्यक्रमों की वितरण प्रणाली को मजबूती प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है।

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में मुखर्जी के हवाले से कहा गया, ‘‘अन्य की तुलना में राज्यों के रुख में बदलाव आया है जो यह संकेत देता है कि उनके पास अच्छी तरह से प्रशासित वितरण प्रणाली है।’’ मुखर्जी ने लोगों को पर्याप्त पेयजल सुनिश्चित करने के लिए भूमिगत जल प्रबंधन की जरुरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में विश्व की 18 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या निवास करती है लेकिन उसके पास ताजा जल संसाधन का केवल चार प्रतिशत ही है। भारत एक पानी की कमी वाला देश है और प्रतिव्यक्ति के लिए जल की उपलब्धता में और कमी आएगी। हम जल्द ही एक पानी की कमी वाला देश होंगे।’’ ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2050 तक 17 प्रतिशत जनसंख्या पूर्ण से रूप पानी की कमी का सामना करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘भूमिगत जल का प्रबंधन अब उच्च प्राथमिकता है।’’ मुखर्जी ने कहा कि देश को उपलब्ध जल संसाधनों का समझदारी से उपयोग करना होगा, बेकार जल को पुन:उपयोग लायक बनाना होगा, जल उपयोग की क्षमता बढ़ानी होगी, भूमिगत जल का पुनर्भरण करना होगा और कुशल स्वच्छता सुविधा की उपलब्धता पूरे ग्रामीण और शहरी जनसंख्या को सुनिश्चित करनी होगी।

राष्ट्रपति ने सभी राज्यपालों से निर्मल भारत अभियान पर विशेष ध्यान देने का अनुरोध किया जिसे सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों में पेयजल और पर्याप्त स्वच्छता सुविधाएं मुहैया कराने के लिए शुरू किया है ताकि ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य एवं बेहतर जीवन स्तर का पूरा लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होने के नाते राज्यपालों का यह प्रयास होना चाहिए कि वे उच्च शिक्षा को उत्कृष्टता और निष्पक्षता से प्रोत्साहित करें।

राष्ट्रपति ने राज्यपालों का आह्वान किया कि वे शिक्षकों की कमी, अनुसंधान के स्तर में सुधार और नवोन्मेष की संस्कृति को प्रेरित करें, उच्च शिक्षा की पहुंच में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ायें तथा शिक्षा का स्तर सुधारने के साथ ही शिक्षा को और अधिक रोजगारन्मुखी बनाने के लिए उद्योगों के साथ बेहतर संबंध विकसित करें।

उन्होंने गत पांच फरवरी को 40 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ दिनभर की चर्चा का उल्लेख करते हुए राज्यपालों से कहा कि वे राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ ऐसी ही बैठकें आयोजित करें। दो दिवसीय सम्मेलन के एजेंडे में आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा और सरकारी कार्यक्रमों की वितरण प्रणाली को मजबूत बनाना शामिल था। सम्मेलन को कल सुबह मंत्री तथा दोपहर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी संबोधित करेंगे। (एजेंसी)

First Published: Monday, February 11, 2013, 20:13

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