Last Updated: Monday, May 7, 2012, 18:02
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट
ने सोमवार को भाकपा (माओवादी) कार्यकर्ता नारायण सान्याल को जमानत दे दी और उनकी आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर दिया। सान्याल को मानवाधिकार कार्यकर्ता विनायक सेन के साथ साल 2010 में छत्तीसगढ़ की सरकार ने राष्ट्रद्रोह के आरोप में दोषी ठहराया था।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने 78 वर्षीय सान्याल को रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने यह आदेश उनकी उम्र और 2006 में गिरफ्तारी के बाद से छह साल से अधिक समय पहले ही जेल में बिताने के मद्देनजर सुनाया। पीठ ने कहा कि सान्याल की उम्र और छह साल से अधिक समय से वह जेल में हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए हम उन्हें जमानत दे रहे हैं। फलस्वरूप उनकी सजा भी निलंबित रहेगी।’’ पीठ ने संबद्ध निचली अदालत के समक्ष उन्हें एक लाख रुपये का निजी मुचलका भरने को कहा। वह अदालत उनकी रिहाई के संबंध में अन्य शर्तें भी लगाएगी।
सान्याल को डा. विनायक सेन और कोलकाता के व्यापारी पीयूष गुहा के साथ माओवादियों के साथ साठगांठ रखने को लेकर दोषी ठहराया गया था। सेन को जमानत दी गई थी और उनकी सजा पिछले साल 15 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने निलंबित कर दी थी।
(एजेंसी)
First Published: Monday, May 7, 2012, 23:32