Last Updated: Friday, December 7, 2012, 19:52

नई दिल्ली: बहुब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर शुक्रवार को राज्यसभा में भी जीत दर्ज कराकर केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (सम्प्रग) सरकार ने इस मुद्दे पर अंतिम जंग जीत ली। लेकिन विपक्ष ने यह कहकर सरकार की इस जीत को खारिज कर दिया कि सदन की व्यापक भावना एफडीआई के खिलाफ थी। सरकार ने लोकसभा में दो दिन पहले ही इस मुद्दे पर हुए मतदान में जीत हासिल कर ली थी।
कयास लगाया जा रहा था कि ऊपरी सदन में सरकार को इस मुद्दे पर हार का मुंह देखना पड़ सकता है। लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मदद से सरकार ने यहां भी आसानी से जीत हासिल कर ली। सपा ने जहां सदन से बहिर्गमन कर सरकार की मदद की, वहीं बसपा ने सरकार के पक्ष में मतदान किया।
मतदान में पराजित होने के बावजूद विपक्ष ने कहा कि दो दिनों की बहस के दौरान सदन में अधिकांश सदस्यों ने चूंकि एफडीआई के खिलाफ बोला, लिहाजा नैतिक जीत विपक्ष की ही है।
इस पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, "हम उन्हें चुनौती देते हैं। यदि हमारी सरकार अल्पमत में है, तो वे हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करें।" सपा और बसपा की मदद से सरकार ने राज्यसभा में एफडीआई के मुद्दे पर 14 मतों के अंतर से जीत दर्ज कराई।
सदन में विपक्ष द्वारा पेश प्रस्ताव के समर्थन में 109 वोट पड़े, जबकि सरकार को 123 वोट प्राप्त हुए। एक सदस्य सचिन तेंदुलकर कोलकाता में इंग्लैंड के खिलाफ क्रिकेट मैच में व्यस्त होने के कारण सदन में अनुपस्थित थे। लेकिन अधिकारियों ने स्वीकार किया कि मतदान के अंतिम आंकड़े को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति रही।
मतदान का निर्णय घोषित होने के तत्काल बाद पता चला कि कुछ तकनीकी गड़बड़ी के कारण सदस्यों की संख्या 248 हो गई थी, जबकि मौजूदा संख्या 244 है। राज्यसभा की कुल क्षमता 245 है। लेकिन विलासराव देशमुख के निधन के कारण एक सीट रिक्त है।
मतदान प्रक्रिया शुरू होने के चंद मिनट पहले सपा ने अपने नौ सांसदों सहित सदन का बहिर्गमन किया, जैसा कि उसने बुधवार को लोकसभा में मतदान से पहले किया था।
राज्यसभा में इस मुद्दे पर बहस के पहले दिन गुरुवार को मायावती ने सदन में कहा था कि उनकी पार्टी के 15 सांसद सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे। सपा, बसपा, कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार को बाहर से समर्थन देती है।
सरकार की इस जीत के साथ ही बहुब्रांड खुदरा में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने का रास्ता साफ हो गया है। इस विवादास्पद मुद्दे को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र का प्रथम दो सप्ताह पूरी तरह बाधित रहा था।
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मतदान से पहले बहस के दौरान सदन को सम्बोधित करते हुए वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने इस बात से इंकार किया कि एफडीआई का निर्णय एकतरफा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर किसानों, व्यापारियों, उपभोक्ताओं, राज्यों, हर किसी से बातचीत की।
शर्मा ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर अंतर मंत्रालयी चर्चा भी की, सिफारिशों को सुना और उसके बाद निर्णय लिया गया। शर्मा ने कहा कि एन.के. सिंह ने राजग सरकार के दौरान बहुब्रांड खुदरा में एफडीआई पर एक समिति की अध्यक्षता की थी। एन.के. सिंह राजग सरकार के दौरान अगस्त 2001 से जून 2004 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रमुख सचिव थे।
इस बीच हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने शर्मा को एक पत्र लिखकर उनके द्वारा दो दिन पहले लोकसभा में दिए गए उस बयान को सच से परे बताया, जिसमें उन्होंने कहा था भाजपा शासित राज्यों- गुजरात व हिमाचल प्रदेश तथा अकाली दल शासित पंजाब- ने लिखित में एफडीआई का विरोध कभी नहीं किया।
दोनों सदनों में हार के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी. राजा ने कहा कि संप्रग सरकार ने बेशर्मी के साथ खुद को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ खड़ा कर लिया है, फिर भी वह दावा करती है कि वह आम आदमी के साथ है। "सदन की भावना एफडीआई के खिलाफ है।"
राजा के सुर में सुर मिलाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एम. वेंकैया नायडू ने कहा, "राज्यसभा में वक्ताओं ने व्यापक संख्या में खुदरा में एफडीआई का विरोध किया।"
नायडू ने कहा कि सरकार ने विपक्ष द्वारा खड़े किए गए बिंदुओं पर संतोषजनक जवाब नहीं दिए। "पूरे देश ने देखा है.. मुझे विश्वास है कि जब वे जनता के बीच जाएंगे, उन्हें मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।"
राज्यसभा में प्रस्ताव गिरने के बाद तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओब्रेन ने संवाददाताओं से कहा कि इस मुद्दे पर मतदान अल्पसंख्यक सरकार के अंत की शुरुआत था।
आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने गम्भीर विश्वास व्यक्त किया कि अगले लोकसभा चुनाव के बाद एफडीआई का निर्णय पलट दिया जाएगा।
एआईएडीएमके नेता वी. मैत्रेयन ने कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम वोट अगले चुनाव में जनता डालेगी। मैत्रेयन ने राज्यसभा में एफडीआई पर बहस के लिए प्रस्ताव पेश किया था। (एजेंसी)
First Published: Friday, December 7, 2012, 15:15