Last Updated: Saturday, February 23, 2013, 15:10

पटना : मीडिया ट्रायल पर चिंता व्यक्त करते हुए उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर ने कहा कि इससे अभियुक्त के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित धारणा बनती है।
न्यायमूर्ति कबीर ने एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मीडिया ट्रायल काफी चिंता का विषय है। मेरा कहना है कि यह नहीं होना चाहिए। मीडिया ट्रायल होने से अभियुक्त के प्रति पूर्वाग्रह (प्रीज्यूडिस) से ग्रसित धारणा बनती है। फैसला अदालतों में ही होना चाहिए।
मीडिया ट्रायल के कारण अदालतों के निर्णयों पर पड़ने वाले प्रभाव पर न्यायमूर्ति कबीर ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत विचार भी सभी लोगों जैसा है। सभी लोगों का कहना है कि मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश पूर्वी जोन न्यायिक सम्मेलन में भाग लेने आये थे। दिल्ली में मेडिकल की एक छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद किशोर अपराध कानून में उम्र सीमा को घटाने की हो रही मांग पर उन्होंने कहा कि इसका फैसला सिर्फ संसद ही कर सकती है। संसद को ही इस संबंध में कानून बनाने का अधिकार है।
पूर्व एयर होस्टेस गीतिका शर्मा आत्महत्या मामले में प्रमुख गवाह उसकी मां अनुराधा शर्मा को मिल रही धमकी और बाद में उनके आत्महत्या करने पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह बहुत दुखद है। हम पहले से ही कह रहे है कि गवाहों की सुरक्षा होनी चाहिए। गवाहों की सुरक्षा के मामले में और अधिक प्रगति होनी चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Saturday, February 23, 2013, 15:10