Last Updated: Thursday, March 21, 2013, 23:41

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के मामले पर गुरुवार को फैसला सुनाते हुए फिल्म अभिनेता संजय दत्त को पांच साल कैद की सजा सुनाई और मुख्य आरोपी अब्दुल रज्जाक मेमन की सजा-ए-मौत को बरकरार रखा, जबकि अन्य 10 आरोपियों की मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई विस्फोट से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले पर निर्णय देते हुए फिल्म अभिनेता और `मुन्ना भाई` नाम से चर्चित संजय दत्त को अवैध हथियार रखने के आरोप में शस्त्र अधिनियम के तहत पांच वर्ष कैद की सजा सुनाई। वहीं, मेमन के लिए निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा-ए-मौत पर मुहर लगाते हुए न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम एवं न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान की खंडपीठ ने कहा कि मेमन और उसके परिवार की 12 मार्च 1993 के मुंबई बम धमाके की साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
मुंबई में सिलसिलेवार 13 बम विस्फोटों में 257 लोग मारे गए थे और 713 लोग घायल हुए थे।
मुंबई में दिसंबर 1992 से जनवरी 1993 के बीच हुए हिंसक दंगों के प्रतिशोध में 12 मार्च 1993 को हुए इन आतंकवादी हमलों से देश की आर्थिक राजधानी बुरी तरह चरमरा गई थी। अयोध्या में छह दिसंबर को हिंदू समूह द्वारा बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद ये दंगे शुरू हुए थे। अदालत ने 10 अन्य आरोपियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील करते हुए कहा कि ये आरोपी मुख्य षड्यंत्र के सहयोगी मात्र थे।
मुंबई विस्फोट के 48 घंटों के अंदर पुलिस ने इस विस्फोट के पीछे साजिश रचने वालों का पता लगाने में कामयाब रही थी। विस्फोट के कुछ घंटों के अंदर ही याकूब मेमन सहित पूरा मेमन परिवार भारत से बाहर भागने में सफल रहा था। याकूब मेमन के अलावा शेष मेमन परिवार लंबे समय तक भारत तथा अंतर्राष्ट्रीय जांच एजेंसियों की जद से दूर रहने में कामयाब रहे थे। याकूब की गिरफ्तारी के बाद उसके भाई तथा और परिवार वालों ने भारत आकर दिल्ली में सीबीआई के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।
बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त को भी अदालत ने आत्मसमर्पण करने का आदेश देते हुए चार सप्ताह का समय दिया है। संजय दत्त शस्त्र अधिनियम के तहत अवैध रूप से हथियार रखने के दोषी पाए गए थे। शीर्ष अदालत ने हालांकि टेरेरिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज एक्ट (टाडा) के तहत दत्त को सुनाई गई छह साल कैद की सजा को घटाकर पांच साल कर दिया है। संजय दत्त 18 महीने की सजा पहले काट चुके हैं।
अदालत ने मुंबई पुलिस सहित सीमा-शुल्क अधिकारियों को भी गैरजिम्मेदाराना हरकत के लिए फटकार लगाई। अदालत ने मामले की सुनवाई में पड़ोसी देश को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र का सदस्य देश होते हुए भी पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देकर, यह संयुक्त राष्ट्र के दायित्वों का उल्लंघन करता रहा है।
टाडा अदालत ने 1993 मुंबई धमाकों के 12 आरोपियों में से 10 की मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है और मेमन की सजाए मौत बरकरार रखी है, जबकि आरोपियों में से एक की मौत हो चुकी है। अदालत ने 20 अन्य लोगों को आजीवन कारावास एवं दत्त सहित 46 लोगों को अगल अलग समयावधि तक कैद की सजा सुनाई है। न्यायाधीश पी.डी. कोडे की टाडा अदालत ने चार नवंबर 1993 को शुरू हुए मामले पर 31 जुलाई 2007 को फैसला दिया था। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 21, 2013, 23:41