Last Updated: Monday, September 16, 2013, 18:20

नई दिल्ली : केंद्र ने मुजफ्फरनगर दंगे रोकने में कथित विफलता के लिए सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य की जनता का सपा सरकार से भरोसा पूरी तरह उठ गया है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मुजफ्फरनगर का दौरा कर लौटे गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा कि अखिलेश यादव सरकार ने संभावित सांप्रदायिक हिंसा को लेकर केन्द्र की चेतावनी पर कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने कहा, ‘केन्द्र ने उत्तर प्रदेश सरकार को सांप्रदायिक तनाव के बारे में पहले से ही चेतावनी दे दी थी। गृह मंत्री (सुशील कुमार शिन्दे) ने मुख्यमंत्री से बात की थी।लेकिन चेतावनी को नजरअंदाज किया गया। राज्य सरकार ने चेतावनी को नहीं सुना। चेतावनी के बावजूद उसने (राज्य सरकार ने) (जाट) महापंचायत को नहीं रोका।’
आरपीएन ने बताया कि मुजफ्फरनगर दौरे के वक्त दंगा प्रभावित लोगों ने प्रधानमंत्री और केन्द्रीय नेताओं को बताया कि उनका सपा सरकार से भरोसा पूरी तरह उठ गया है क्योंकि राज्य सरकार उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने और सांप्रदायिक हिंसा रोकने में नाकाम रही।
उन्होंने कहा, ‘यह सुनकर अत्यंत तकलीफ पहुंची कि जनता प्रधानमंत्री, संप्रग अध्यक्ष और राहुल गांधी से कह रही है कि राज्य सरकार से उनका भरोसा पूरी तरह उठ गया है। लोगों ने कहा कि केन्द्रीय बलों और सेना के आने के बाद ही उन्हें सुरक्षित महसूस हुआ।’
आरपीएन ने कहा कि बंटवारे के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि दंगों की वजह से किसी एक जिले में 40 हजार से अधिक लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘बंटवारे के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि सांप्रदायिक हिंसा के कारण किसी एक जिले में इतनी बड़ी संख्या में लोग शिविरों में रह रहे हैं ।’
आरपीएन ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक पार्टियां हालात का फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं और कुछ ने तो सांप्रदायिक तनाव और भड़काने की कोशिश की।
प्रधानमंत्री एवं अन्य लोगों के दौरे को लेकर भाजपा की आलोचना के बारे में पूछने पर मंत्री ने कहा कि सभी लोग जनता का दु:ख दर्द बांटने मुजफ्फरनगर गये थे और यह आश्वासन देने गये थे कि शांति और सामान्य स्थिति बहाल होगी।
उन्होंने कहा, ‘भाजपा शांति नहीं चाहती। वह इसी तरह की हिंसा के सहारे सत्ता में आना चाहती है।’ प्रस्तावित सांप्रदायिक हिंसा विधेयक की स्थिति के बारे में पूछने पर आरपीएन ने कहा कि कई राज्य सरकारों के विरोध के कारण प्रस्तावित विधेयक में काफी कम प्रगति हो सकी है।
उन्होंने कहा, ‘हम जब भी कोई नया कानून बनाने की बात करते हैं, कुछ राज्य सरकारें हमेशा उसका विरोध करती हैं। वे कहती हैं कि केन्द्र उनके मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। लेकिन हम प्रयास कर रहे हैं और कोशिश करेंगे कि विधेयक संसद में जल्द पारित हो।’ (एजेंसी)
First Published: Monday, September 16, 2013, 18:20