Last Updated: Thursday, May 30, 2013, 00:17

नई दिल्ली : भाजपा से निष्कासित किए जाने के एक दिन बाद दिग्गज वकील राम जेठमलानी ने बुधवार को पलटवार करते हुए कहा कि यह कदम उठाकर पार्टी ने खुदकुशी की है जिससे ‘भ्रष्ट’ सरकार और पार्टी (भाजपा) के भीतर उसके सहयोगियों को खुशी होगी।
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को लिखे एक पत्र में जेठमलानी ने कहा कि वह कम से कम 2004 से भाजपा से बाहर थे। उन्होंने कहा, ‘अगर पहले नहीं तो मैं कम से कम 2004 से पार्टी से बाहर था। 2010 में पार्टी ने इस आग्रह के साथ मुझसे संपर्क किया कि मैं शामिल हो जाऊं। उस वक्त मैंने इसे बहुत साफ कर दिया था कि पार्टी राष्ट्र को पेश सभी समस्याओं पर मेरे विचार जानती है।’ जेठमलानी ने कहा, ‘पार्टी को मुझे बदलने का कोई अधिकार नहीं है, बल्कि उसे बदलने का मेरा अधिकार है।’
उल्लेखनीय है कि जेठमलानी भाजपा नेतृत्व के आलोचक थे और उन्होंने तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ बगावत कर दी थी। उन्हें पार्टी अनुशासन के उल्लंघन के आरोप में पार्टी की सदस्यता से छह साल के लिए निकाल दिया गया है। जेठमलानी ने पार्टी पर प्रहार किया कि उन्होंने निष्कासन नोटिस जारी किए जाने से पहले जो पत्र लिखे थे उसपर कुछ नहीं हुआ। उन्होंने नवंबर 2012 में ‘कारण बताओ नोटिस’ पेश किए जाने के बाद एक से ज्यादा बार पत्र लिखा था, उसपर भी कुछ नहीं हुआ।
वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘यह अपने आप में दिखाता है कि निष्कासन का कोई कारण नहीं है। मैंने इंगित किया था कि पार्टी संविधान के तहत अनुशासनात्मक शक्तियां अनुशासन समिति में निहित है। आप की कोई अनुशासन समिति नहीं है। आपकी कार्रवाई अयोग्यता और कानून के प्रति अवमानना दिखाती है।’
कठोर शब्दों में लिखे पत्र में 89 वर्षीय राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘निष्कासन के बेहूदे आदेश से पार्टी ने खुदकुशी कर ली। यह सिर्फ हमारे भ्रष्ट हुक्मरान और पार्टी के अंदर उनके भ्रष्ट सहयोगियों को खुश करेगा। अगर आप खुदकुशी पर आमादा हैं तो भगवान भी आपको नहीं बचा सकता।’ विदेश यात्रा पर गए जेठमलानी ने कहा कि उन्होंने पार्टी को जो पत्र लिखे थे, उन्हें आने वाले दिनों में वह जारी करेंगे। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 30, 2013, 00:17