Last Updated: Wednesday, September 11, 2013, 17:55
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे की वजह से मुस्लिम संगठनों का अखिलेश सरकार से मोहभंग हो गया है। मुलायम समर्थक माने जाने वाले इन संगठनों ने एक सुर में यूपी सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है। उनका आरोप है कि मुसलमानों ने बड़ी उम्मीदों के साथ समाजवादी पार्टी का समर्थन किया था, लेकिन अखिलेश सरकार ने उनके भरोसे को तोड़ दिया।
मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि बढ़ते तनाव की खबरों पर यूपी सरकार ने जानबूझकर कर ध्यान नहीं दिए। उसका इरादा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए राजनीतिक फायदा उठाने का था। उनकी मांग है कि अखिलेश यादव इस्तीफा दें, वरना केंद्र उनकी सरकार को बर्खास्त करे। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि दंगे अखिलेश सरकार की मिलीभगत से राजनीतिक फायदे के लिए करवाए गए। इसके लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। उनको खुद त्यागपत्र देना चाहिए, वरना केंद्र को उन्हें हटा देना चाहिए।
तमाम मुस्लिम संगठनों ने अखिलेश सरकार को बर्खास्त करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। इनमें जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरात, जमात-ए-इस्लाम-ए-हिंद और जमीयत अहले हदीस समेत कई छोटे बड़े संगठन शामिल हैं।
मुस्लिम नेताओं का साफ कहना है कि मुलायम की नजर में मुसलमानों की हैसियत सिर्फ वोटबैंक की है। मुस्लिम धर्मगुरु मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि मुसलमानों की बदकिस्मती है कि वे अपनी कोई पार्टी नहीं बना पाए और एकजुटता नहीं आ पाई। मुसलमानों को सोचना चाहिए क्योंकि वो कभी सपा, कभी कांग्रेस तो कभी किसी और पर भरोसा कर लेते हैं। मुलायम ने पहले ही दिन से साबित कर दिया कि उन्हें मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। 2014 में मुसलमान जरूर सोचेंगे कि किसे वोट दें और किसे न दें।
First Published: Wednesday, September 11, 2013, 17:55