Last Updated: Wednesday, February 1, 2012, 04:32
ज़ी न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली : दिल्ली मेट्रो के पूर्व प्रमुख ई. श्रीधरन का कहना है कि दिल्ली मेट्रो के शुरूआती समय में व्यवधान पैदा किया गया था। काम संभालते ही उन पर मेट्रो का ठेका बदलने के लिए दबाव पड़ने शुरू हो गए थे। श्रीधरन की जगह कोई और होता तो शायद इन दबावों को नजरअंदाज करना इतना आसान नहीं होता। अब सवाल यह उठ रहा है कि वो कौन लोग थे जिन्होंने अपने फायदे के लिए दिल्ली मेट्रो का रास्ता रोकने की कोशिश की थी।
श्रीधरन के मुताबिक, 'मुझ पर पहले ही ठेके को रद्द करने के लिए दबाव बनाया गया था.' दिल्ली मेट्रो शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत आता है। श्रीधरन ने काम संभालने के बाद पहला ठेका दिया था। तमाम कंपनियों के टेंडर में से उस कंपनी को चुना गया था, लेकिन तभी श्रीधरन के दफ्तर के फोन बजने लगे थे। श्रीधरन का कहना है, 'वो ठेका किसी और को देना चाहते थे। मैं ऐसा नहीं करना चाहता था। मैंने साफ कहा कि मैं ऐसा नहीं करूंगा। ये साल 1998 की बात है।'
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 19 मार्च 1998 को एनडीए की सरकार ने सत्ता संभाली थी। एनडीए के जमाने में ही दिल्ली मेट्रो की नींव रखी गई थी। मेट्रो के पहले चरण का काम एक अक्टूबर 1998 को शुरू हुआ था। जाहिर है इसके लिए ठेका इससे पहले दिया गया होगा। 19 मार्च 1998 से पहले यूनाइटेड फ्रंट की सरकार थी। अप्रैल 1997 से 19 मार्च 1998 तक इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री हुआ करते थे और उन्होंने शहरी मामलों का मंत्रालय अपने पास ही रखा हुआ था। हालांगि ई श्रीधरन ने किसी के नाम का खुलासा नहीं किया है।
First Published: Wednesday, February 1, 2012, 10:03