Last Updated: Thursday, June 21, 2012, 21:03
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रमों की अखिल भारतीय कोटे की सीटों पर प्रवेश के लिए आन लाइन काउंसलिंग में हेराफेरी और हैकिंग के आरोपों पर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एचएल गोखले और न्यायमूर्ति सुश्री रंजना प्रकाश देसाई की अवकाशकालीन खंडपीठ ने गुरुवार को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय को यह निर्देश देने के साथ ही मेडिकल की छात्रा पंकिला मित्तल की याचिका पर सुनवाई 27 जून के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य सेवा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता टीएस दोआबिया ने दावा किया कि आन लाइन काउंसलिंग के नतीजों में हेराफेरी और हैकिंग के आरोप निराधार पाये गए हैं। इस बीच, न्यायालय ने पंकिला मित्तल को बडोदरा के सरकारी मेडिकल कालेज में त्वचा विज्ञान में डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति दे दी है। न्यायालय ने कहा है कि डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश पंकिला की लंबित याचिका के परिणाम पर निर्भर करेगा।
पंकिला का आरोप है कि अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में सफल रहे अनेक टाप रैंकर छात्र एमडी और एमएस पाठ्यक्रमों की बजाए डिप्लोमा पाठ्यक्रम आबंटित किये जाने से स्तब्ध हैं।
याचिका में कहा गया है कि पहले दौर की काउंसलिंग के बाद उसे मुंबई के सेठी जी एस मेडिकल कालेज में सीट आबंटित हुई थी और अपने रैंक के आधार पर उसने सारी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली थीं। इस छात्रा का कहना है कि मेडिकल के एमडी और एमएस पाठ्यक्रम तीन साल के हैं जबकि डिप्लोमा पाठ्यक्रम दो साल का है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि यह सब आन लाइन काउंसलिंग में हेराफेरी और हैकिंग के कारण हुआ है। अपने इस आरोप के समर्थन में उसने कहा है कि इस काउंसलिंग के नतीजों की आधिकारिक घोषणा 12 जून को होनी थी लेकिन अनेक छात्रों को 11 जून को ही सोशल नेटवर्किंग साइट पर अनौपचारिक रूप से इसकी जानकारी मिल गई थी। (एजेंसी)
First Published: Thursday, June 21, 2012, 21:03