Last Updated: Friday, December 9, 2011, 09:14
नई दिल्ली : सात फीसदी विकास दर के अपर्याप्त होने की बात स्वीकार करते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को निवेश माहौल में सुधार के लिए विपक्ष से सहयोग की अपील की। लोकसभा में कल महंगाई के मुद्दे पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने आज कहा कि सरकार मुद्रास्फीति को काबू में रखते हुए विकास दर बढ़ाने की इच्छुक है।उन्होंने यह भी कहा कि महंगाई को लेकर उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है कि इसका तत्काल कोई हल निकल जाए।
पिछले सात सप्ताह में खाद्य पदार्थों की कीमतों के कम होने की प्रवृति देखी गई है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का संबंध अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थिति से है, लेकिन साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि महंगाई के इन हालात पर काबू पाने के लिए सरकार सब्सिडी देने की स्थिति में नहीं है।
संप्रग सरकार के कार्यकाल में आर्थिक वृद्धि दर ऊंचे रहने की बात करते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि मौजूदा सात फीसदी की सकल घरेलू उत्पाद दर अपने आप में पर्याप्त नहीं है लेकिन उन्होंने विपक्ष के इन आरोपों को गलत बताया कि यह अब तक की सबसे कम है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति और विकास में कोई संबंध नहीं है। हमें मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है , हमें उच्च विकास दर हासिल करनी है लेकिन मेहरबानी कर यह मत कहिए कि कुछ किया नहीं गया।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार अक्टूबर की 9. 73 फीसदी की मुद्रास्फीति की दर को 5. 6 प्रतिशत पर लाने को प्रतिबद्ध है। उनके जवाब से असंतोष जताते हुए राजग तथा वामदल सदन से वाकआउट कर गए।
वाकआउट से पूर्व विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि सदन के नेता मुखर्जी ने उन पर आरोप लगाया था कि मेरे भाषण में नई कोई बात नहीं थी, लेकिन आज उनका जवाब सुनकर मैं भी कहती हूं कि उनका भाषण ‘बासी, उबाऊ और घिसापिटा है, जिसमें आम आदमी को राहत के लिए कुछ नहीं कहा गया है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 9, 2011, 15:38