मौत की सजा का फैसला दोषपूर्ण: कसाब - Zee News हिंदी

मौत की सजा का फैसला दोषपूर्ण: कसाब


नई दिल्ली : मुंबई में 26-28 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले में एकमात्र गिरफ्तार पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि मौत की सजा सुनाते हुए निचली अदालत ने जो तर्क रखे थे वे दोषपूर्ण थे। कसाब की ओर से पेश एमिकस क्यूरे राजू रामचंद्रन ने न्यायाधीश आफताब आलम और सीके प्रसाद की खंडपीठ से कहा कि निचली अदालत ने कसाब को मौत की सजा सुनाने के दौरान जिन 'तथ्यात्मक कारकों' को पेश किया गया उन्हें स्पष्ट रूप से खारिज किया जाए।

 

एमिकस क्यूरे ने निचली अदालत के फैसले की आलोचना की। इस पर न्यायाधीश आलम ने कहा कि अदालत के लिए इन बातों पर विचार करने का कोई अर्थ नहीं है कि अगर वह जिंदा रहता है तो दूसरा कांधार (1999 में हुआ विमान अपरहण कांड) होगा और अगर उसे मौत की सजा दी जाती है तो बदले की कार्रवाई हो सकती है। अदालत ने कहा कि दोषी को जिंदा रखने पर जहां तक खर्च का मसला है तो इसका फैसला विधायिका को करना है, इस पर अदालत को विचार नहीं करना है।

 

अदालत कसाब की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने बम्बई उच्च न्यायालय के 21 फरवरी 2011 को बरकरार रखी गई मौत की सजा को चुनौती दी है। सर्वोच्च न्यायालय में इससे पहले 8 फरवरी को हुई सुनवाई में अदालत ने कहा था कि आप भारतीय धरती पर पहुंचने से पहले ही साजिश के सम्बंध में सबकुछ जानते थे। कसाब ने कहा था कि वह साजिश में शामिल नहीं था बल्कि मात्र एक एजेंट था।
न्यायालय ने कसाब की दलील को अविश्वसनीय एवं अकल्पनीय बताया। कसाब की दलीलों को न्याय मित्र राजू रामचंद्रन ने न्यायालय के समक्ष पेश किया। न्यायमूर्ति आलम के मुताबिक कसाब ने कहा कि मैं भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और षडयंत्र में शामिल नहीं था। मेरी भूमिका सुपारी लेकर हत्या करने तक सीमित थी। इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि आपकी दलील है कि आप केवल एक एजेंट थे और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश में शामिल नहीं थे लेकिन आपके कबूलनामे को देखा जाए तो आप सबकुछ जानते थे। न्यायालय ने कहा कि आप सभी 10 लोग एक साथ भारतीय जमीं पर पहुंचे और उसके बाद दो-दो के समूह में पांच टुकड़ों में बंट गए। इसके बाद आप लोगों ने मुम्बई में भारी तबाही मचाई।

 

न्यायालय ने कहा कि आप किसी सार्वजनिक परिवहन अथवा परिवहन के पारम्परिक मार्ग से भारत नहीं आए और ऐसी तबाही बिना किसी साजिश के अंजाम नहीं दी जा सकती थी।

(एजेंसी)

First Published: Tuesday, February 14, 2012, 20:21

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