‘युवाओं में मूल्य डालने का काम करें शैक्षणिक संस्थान’

‘युवाओं में मूल्य डालने का काम करें शैक्षणिक संस्थान’

‘युवाओं में मूल्य डालने का काम करें शैक्षणिक संस्थान’ सोलन : महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के बढ़ते मामलों से चिंतित राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को राह दिखाना चाहिए क्योंकि युवाओं के मन में मूल्य डालने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है।

उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं महिलाओं की सुरक्षा के लिए कारगर कदम उठाने की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि हालिया घटनाएं अविलंब आत्ममंथन पर जोर देती हैं और हमारे समाज में मूल्यों के हो रहे क्षरण को रोकने के लिए समाधान ढूंढने की आवश्यकता है।

हिमाचल प्रदेश के सोलन में कलूझांडा में महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा, ‘स्कूली स्तर से ही हमारे शैक्षणिक संस्थानों को हमारे समय की नैतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए राह दिखाना चाहिए और मातृभूमि के लिए प्रेम, कर्तव्य निर्वहन और सबके लिए करुणा के स5यतागत मूल्यों को डालने को सुनिश्चित करना चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘उन्हें इस बात को भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विविधता के लिए सहिष्णुता, महिलाओं और वृद्धों के लिए सम्मान, जीवन में सच्चाई और ईमानदारी, आचरण में अनुशासन और आत्मसंयम और कार्रवाई में जिम्मेदारी युवा मस्तिष्क में डाली जानी चाहिए।’

आबादी के कारण होने वाले फायदों का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल करने पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश एकबार फिर उच्च शिक्षा व्यवस्था के खोए हुए गौरव को पुनर्जीवित कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘उनमें उत्कृष्टता की संस्कृति के संस्कार डालने की आवश्यकता है। प्रत्येक विश्वविद्यालय को कम से कम एक विभाग की पहचान करनी चाहिए जिसे दक्षता केन्द्र बनाया जा सकता है।’

मुखर्जी ने अच्छे संकाय और रिक्तियों को भरे जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया क्योंकि इसका अभाव शिक्षा के स्तर को प्रभावित कर रहा है और ‘अनेक तेजस्वी उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने को तरजीह देते हैं।’

उन्होंने कहा कि देश में उच्च शिक्षा का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव दर्शाता है कि निजी क्षेत्र और पूर्ववर्ती छात्रों की भागीदारी हारवर्ड, येल और स्टेनफोर्ड जैसे शीर्ष विश्वविद्यालयों की सफलता के पीछे हैं। (एजेंसी)

First Published: Saturday, May 25, 2013, 18:17

comments powered by Disqus