Last Updated: Friday, July 20, 2012, 22:37

नई दिल्ली: संप्रग सरकार के लिये मुश्किलें बढ़ाते हुये शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने मंत्रिमंडल से बाहर आने का फैसला किया है । बहरहाल राकांपा संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन देती रहेगी । राकांपा गठबंधन सरकार चलाने के कांग्रेसी तौर तरीकों से नाराज है ।
राकांपा प्रमुख और कृषि मंत्री शरद पवार तथा इस पार्टी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में अन्य मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सूचित किया है कि वे इस्तीफा देने जा रहे हैं ।
सूत्रों ने बताया कि इन दोनों नेताओं ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को अलग से भेजे गये पत्र में कहा है कि सरकार से बाहर होने के बावजूद उनकी पार्टी संप्रग का हिस्सा बनी रहेगी । राकांपा के लोकसभा में नौ और राज्यसभा में सात सदस्य हैं। इन संदेशों के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व राकांपा को सरकार में बनाये रखने का प्रयास जारी रखे हुये है ।
सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में कांग्रेस कोर ग्रुप की शुक्रवार शाम बैठक हुई और पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि संकट समाधान की ओर है । कांग्रेस नेतृत्व के इस आशावादी दृष्टिकोण के बाद राकांपा की ओर से मंत्रिमंडल से बाहर आने के इरादों का इजहार किया गया ।
मंत्रिमंडल से हटने की राकांपा का फैसला सार्वजनिक होने से पहले कांग्रेस सूत्रों ने इस पर बातचीत होने का दावा किया और कहा कि ‘सभी मुद्दों का समाधान’ हो गया है । उन्होंने कहा कि मुद्दा मंत्रिमंडल में शरद पवार के नंबर दो हैसियत नहीं, समन्वय है । पिछले आठ वषरे से कांग्रेस की स्थिर सहयोगी राकांपा ने पिछली रात प्रधानमंत्री को एक पंक्ति का संदेश भेजकर सरकार के समक्ष संकट खड़ा कर दिया । इस संदेश में पवार ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के अपने फैसले से अवगत कराया था ।
राकांपा प्रमुख ने प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी को लिखे पत्रों में कहा कि उनकी पार्टी छोटी है । हम सरकार से बाहर आकर अपना ध्यान पार्टी को मजबूत करने में लगाना चाहते हैं क्योंकि चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं । प्रधानमंत्री ने उन्हें तत्काल चर्चा के लिये बुलाया और उसके बाद सुबह पवार की सोनिया गांधी से भी बातचीत हुई ।
पवार ने दोनों ही नेताओं के साथ चर्चा में संप्रग के घटक दलों के साथ समन्वय और विचार विमर्श के अभाव का मुद्दा उठाया। उनका कहना था कि अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी और जल संसाधन परियोजनाओं की लागत जैसे मुद्दों पर आवश्यक विचार विमर्श नहीं हुआ । पवार का यह भी कहना था कि सरकार को अर्थव्यवस्था की कीमत पर जरूरत से ज्यादा लोक लुभावन परियोजनाओं के चक्कर नहीं पड़ना चाहिये । (एजेंसी)
First Published: Friday, July 20, 2012, 22:37