Last Updated: Friday, September 23, 2011, 17:12
कोयंबूटर : पूर्व दूरसंचार मंत्री अरूण शौरी ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर प्रधानमंत्री कार्यालय को वित्त मंत्रालय की ओर से भेजे गए विवादास्पद नोट से संप्रग सरकार का ‘गृहयुद्ध’ अब खुलकर सामने आ गया है. शौरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘पिछले चार पांच साल से यह अंदरूनी युद्ध चल रहा है. सरकार नाम की कोई चीज नहीं है और अब यह लड़ाई खुलकर सामने आ गयी है.’
इस नोट से मचे ताजा विवाद पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह ‘स्तब्धकारी और बेतुका’ है कि प्रधानमंत्री या उनके कार्यालय ने मार्च में इस नोट पर विचार नहीं किया. सरकार पर 2जी मुद्दे से जुड़ी सभी सूचनाएं दबाने का आरोप लगाते हुए शौरी ने कहा अब ‘शून्य हानि’ मंत्री कपिल सिब्बल और पवन कुमार बंसल का इस खास नोट पर क्या कहना है जो यह बताता है कि यदि उस समय पी. चिदम्बरम की अगुवाई वाले वित्त मंत्रालय ने नीलामी के जरिए स्पेक्ट्रम आवंटन का दबाव बनाया होता तो यह घोटाला टाला जा सकता था.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान दूरसंचार मंत्री रहे शौरी से जब पूछा गया कि क्या यह नोट जेल में बंद पूर्व मंत्री ए. राजा को बच निकलने का मार्ग हो सकता है, तो उन्होंने कहा कि यह राजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण बचाव हो सकता है जो शुरू से ही कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री और चिदम्बरम दोनों को पूरे मुद्दे की जानकारी थी.
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इस मुद्दे पर चिदम्बरम के इस्तीफे की मांग का समर्थन करते हैं, उन्होंने तपाक से कहा, ‘जब बिल्कुल ही सरकार नाम की कोई चीज नहीं है तो इस्तीफा मांगने का सवाल ही कहां रहता है.’ एक अन्य पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन की भूमिका के बारे में शौरी ने कहा कि सीबीआई अब मारन पर ध्यान केंद्रित कर रही है, हालांकि उसने कहा कि इस बात का सबूत नहीं है कि उनके द्वारा एयरसेल मैक्सिस सौदे में एयरसेल के प्रोमोटर सी शिवशंकरन के खिलाफ दबाव डाला गया.
शौरी ने कहा कि उन्होंने कहा, ‘यह जरूरी नहीं है कि मंत्री कुछ कराने के लिए ही दबाव डालें, यह लालच भी हो सकता है.’ सीबीआई के समक्ष उनके पेश होने के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह जनवरी और जून में पहले ही एजेंसी के प्रश्नों के उत्तर दे चुके हैं.
(एजेंसी)
First Published: Friday, September 23, 2011, 22:42