Last Updated: Thursday, July 25, 2013, 17:23

नई दिल्ली : देश में गरीबी के स्तर के बारे में योजना आयोग के आंकलन की आलोचना करते हुए माकपा ने आज कहा कि बढ़ती महंगाई और गरीबों को दी जाने वाली सब्सिडी में भारी कटौती के बीच ऐसे आंकलन लोगों के जीवन के लिए किए जा रहे संघर्ष का माखौल उड़ाते हैं।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, ‘शहरी गरीबी स्तर की परिभाषा तय करने वाली राशि से आज खुले बाजार में अच्छी किस्म का एक किलोग्राम चावल भी नहीं खरीदा जा सकता।’ उन्होंने कहा कि योजना आयोग के अनुसार, राष्ट्रीय गरीबी रेखा का आकलन शहरों में 33.33 रूपये प्रति व्यक्ति आय और गांवों में 27.20 रूपये प्रति व्यक्ति आय है। उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब यह है कि न केवल खाद्य पर बल्कि अन्य जरूरतों, सामान और सेवा पर इससे अधिक राशि खर्च करने वाला कोई भी व्यक्ति गरीब नहीं है। गैर गरीब व्यक्ति (नॉन पुअर परसन) होने की इससे अधिक मूखर्तापूर्ण और अमानवीय परिभाषा नहीं हो सकती।’
उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार चुनावों से पहले यह दिखाने के लिए ‘छल’ कर रही है कि उसके कार्यकाल में गरीबों को लाभ हुआ। उन्होंने कहा, ‘जिस तरह यह किया जा रहा है उससे यही चरितार्थ होता है कि झूठ, सिर्फ झूठ और आंकड़े।’ माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के संपादकीय में येचुरी ने कहा कि यह गरीबी रेखाएं न केवल मूखर्तापूर्ण हैं बल्कि जीने के लिए आज हमारे लोग जो संघर्ष कर रहे हैं, उसका यह गरीबी रेखाएं माखौल भी उड़ाती हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Thursday, July 25, 2013, 17:23