योजना आयोग ने दो टॉयलेट पर खर्च किये 35 लाख रु.

योजना आयोग ने दो टॉयलेट पर खर्च किये 35 लाख रु.

योजना आयोग ने दो टॉयलेट पर खर्च किये 35 लाख रु.नई दिल्ली: गरीबी रेखा की परिभाषा पर विवादों में घिरे योजना आयोग ने नई दिल्ली में दो शौचालयों के नवीनीकरण पर ही 35 लाख रुपए खर्च कर दिए। इसका खुलासा एक आरटीआई आवेदन पर मिले जवाब में हुआ है।

गरीबी रेखा के लिए 28 रुपए की आय की विवादित सीमा निर्धारित करने की बात करने वाले आयोग ने शौचालयों के नवीनीकरण पर 30 लाख रुपए खर्च किए और इसे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जैसा बनाया गया।

इसके अलावा करीब 5.19 लाख रुपए योजना भवन में शौचालयों के लिए ‘डोर एक्सेस कंट्रोल सिस्टम’ लगाने पर खर्च किए गए। इस प्रणाली में वही लोग शौचालयों का इस्तेमाल कर सकते हैं जिन्हें स्मार्ट कार्ड दिया गया है।

शौचालयों के नवीनीकरण पर खर्च के संबंध में यह जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल के आवेदन पर मिली है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी में बताया गया है कि योजना आयोग के अधिकारियों को 60 स्मार्ट कार्ड जारी किए गए हैं।

गरीबी रेखा निर्धारण के अलावा योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया उस समय भी आलोचना के घेरे में आए थे जब एक अखबार में आरटीआई के तहत मिली जानकारी के हवाले से खबर प्रकाशित हुयी थी कि मई और अक्तूबर, 2011 के बीच उनकी विदेश यात्रा पर रोजाना 2.02 लाख रुपए खर्च हुआ।

दूसरी रिपोर्ट में कहा गया था कि जून 2004 से जनवरी 2011 के बीच उन्होंने 42 आधिकारिक यात्राएं कीं। 274 दिनों की यात्राओं पर 2.34 करोड़ रुपए का खर्च आया। हालांकि अहलूवालिया का कहना था कि आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन के लिए विदेश दौरे की जरूरत को नकारा नहीं जा सकता है।

शौचालयों के नवीनीकरण पर 35 लाख रुपए खर्च किए जाने पर आलोचना का सामना कर रहे योजना आयोग ने कहा कि यह सामान्य रखरखाव प्रक्रिया थी और इसे फिजूलखर्ची कहना दुर्भाग्यपूण है।

योजना आयोग ने एक बयान में कहा कि 30 लाख रुपये की जो राशि बतायी जा रही है वह सही है लेकिन ऐसी धारणा बनाई जा रही है कि सिर्फ दो शौचालयों पर इतनी राशि खर्च की गयी है। यह सही नहीं है क्योंकि इन शौचालय ब्लॉकों में कई सीटें हैं। साथ ही अशक्त लोगों के लिए भी अलग से सुविधाएं हैं।

एक आरटीआई आवेदन में जानकारी मिली थी कि आयोग ने दो शौचालयों के नवीनीकरण पर 35 लाख रुपए खर्च किए हैं। इसके बाद आयोग की आलोचना हो रही है। आयोग ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सामान्य रखरखाव व उन्नयन को फिजूलखर्ची के तौर पर पेश किया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि नवनिर्मित शौचालयों में चोरी की घटनाएं होती रहती थीं। इसको देखते हुए एक्सेस कंट्रोल सिस्टम प्रणाली का परीक्षण किया गया लेकिन वह व्यावहारिक साबित नहीं हुआ।
(एजेंसी)

First Published: Wednesday, June 6, 2012, 19:16

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