Last Updated: Saturday, April 20, 2013, 19:20
नयी दिल्ली : विदेशी कंपनियों से खरीद में घोटालों से स्तब्ध रक्षा मंत्रालय ने आज नई खरीद नीति को अंतिम रूप दिया जिसके तहत सैन्य उपकरणों की खरीद में भारतीय सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाएगी और उन खामियों को दूर करने की दिशा में पहल की जाएगी जो भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित करते हैं।
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे जैसे घोटालों से बचने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने एक ऐसे प्रस्ताव को मंजूरी दी है जिसके तहत सेना मुख्यालय को रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की मंजूरी से पहले वांछित उत्पादों की विशिष्टताओं को जाहिर नहीं करना होगा।
नीतियों में नए बदलाव से रक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और रक्षा उत्पादन फैक्ट्री का वर्चस्व समाप्त होगा क्योंकि ये विदेश से खरीदे गए उपकरणों के रखरखाव और मरम्मत के लिए स्वत: मनोनीत नहीं होंगे। निजी कंपनियों को इन अनुबंधों में हिस्सा लेने की अनुमति होगी।
रक्षा मंत्रालय ने यहां कहा, ‘रक्षा खरीद नीति (डीपीपी) के तहत अब स्वदेशी खरीद को प्राथमिकता दी जाएगी। वैश्विक मामलों को अंतिम उपाय के रूप में लिया जाएगा। पहला विकल्प भारत से खरीद का होगा, इसके बाद ‘खरीदो और भारत में तैयार करो’ पर अमल किया जाएगा।’ दूसरी श्रेणी के तहत सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां, विदेशी कंपनियों से गठजोड़ कर सकती है और देश के सशस्त्र बलों की जरूरतों के अनुरूप उपकरणों का उत्पादन करेगी।
रक्षा मंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता में हुई डीएसी की बैठक में सशस्त्र बलों के लिए यह जरूरी बना दिया गया है कि वह मंत्रालय को बताए कि वे भारतीय स्रोत से क्यों नहीं खरीदना चाहते। अन्य तीन श्रेणियों खरीदों और भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत तैयार करो’ और अंतिम विकल्प के रूप में सीधे वैश्विक कंपनियों से खरीदने की बात है।
बैठक को संबोधित करते हुए एंटनी ने कहा, ‘देश के समक्ष आगे बढ़ने का केवल एक रास्ता है और वह रक्षा उत्पादों के त्वरित गति से स्वदेशीकरण का है जिसमें सर्वजनिक और निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार भारतीय निर्माण उद्योग को इस क्षेत्र की वैश्विक कंपनियों के बराबर का अवसर देना चाहती है।’ (एजेंसी)
First Published: Saturday, April 20, 2013, 17:57