Last Updated: Friday, April 6, 2012, 16:22
नई दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी ने कहा कि नेताओं के कामकाज से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देने के लिए चुने हुए जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार और उनके लिए सेवानिवृत्ति की आयु तय कर देना कोई व्यवहारिक समाधान नहीं है।
कुरैशी ने यहां एक समारोह को संबोधित करते हुए नेताओं के खातों की ऑडिटिंग और उन्हें चंदा चैक से मिलने जैसे सुधारों की वकालत की लेकिन दावा किया कि इन मुद्दों पर राजनीतिक दलों की ओर से विरोध होता है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौती नेताओं के अपराधीकरण और काले धन की है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, ‘राजनीति में अपराधी और चुनावों में काले धन का इस्तेमाल परेशानी वाली बात है। इन दो वजहों से भारत दुनिया का महानतम लोकतंत्र नहीं बन पा रहा।’
कुरैशी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि राजनीतिक दलों के लिए दो बुनियादी सुधार ये हो सकते हैं कि उनका लेन-देन चैक से हो और उनके खातों का चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त स्वतंत्र एकाउंटेंटों से आडिट कराया जाए।’ उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए विचार विमर्श की जरूरत है क्योंकि इन पर राजनीतिक दलों की ओर से आपत्ति है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, April 6, 2012, 21:52