Last Updated: Monday, June 17, 2013, 00:14

पटना/ नई दिल्ली : अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को झटका देते हुए जदयू ने नरेंद्र मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाये जाने के खिलाफ भाजपा के साथ गठबंधन को समाप्त कर दिया और इस तरह राष्ट्रीय राजनीति में 17 साल पुराने मजबूत गठजोड़ में दरार पड़ गयी।
बिहार में आठ साल पुरानी गठबंधन सरकार की अगुवाई कर रही जदयू ने राज्य मंत्रिमंडल से भाजपा के 11 मंत्रियों को हटा दिया और नई परिस्थिति में 19 जून को विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास मत के लिए प्रस्ताव रखने का फैसला किया।
भाजपा ने जदयू के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया लेकिन यह भी उम्मीद जताई कि राजग के साथ और घटक दल आएंगे।
जदयू अध्यक्ष शरद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में गठबंधन तोड़ने की घोषणा की। इससे एक सप्ताह पहले ही मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपी गयी थी जिसे उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने की दिशा में ही एक कदम माना जा रहा है। शरद यादव ने राजग के संयोजक का पद भी छोड़ दिया।
आज का घटनाक्रम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के लिए बड़े झटके वाली बात है जिसमें अब केवल तीन घटक दल- भाजपा, शिवसेना और अकाली दल रह गये हैं। 2009 के आम चुनावों से पहले बीजद ने ओडिशा में सांप्रदायिक हिंसा में भाजपाई ताकतों का हाथ होने का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ राज्य में भाजपा से रिश्ता समाप्त कर दिया था।
शरद यादव ने संवाददाताओं से कहा कि यह फैसला पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए किया गया है जो पिछले 7-8 महीने में गठबंधन के सहयोगी दल की राजनीति के तरीके से सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘हमने फैसला किया कि अब साथ चलना संभव नहीं है और जदयू के लिए अलग रास्ता तय करने का निर्णय हुआ।’ जदयू अध्यक्ष ने कहा कि राजग का गठन अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने 1995 में कुछ सहमतियों वाले एजेंडे के आधार पर किया था लेकिन भाजपा के नये दौर से जदयू खुश नहीं है।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में जदयू के 118 विधायक हैं और भाजपा के 91 सदस्य हैं। जदयू को बहुमत के लिए महज चार विधायकों के समर्थन की और जरूरत है। निर्दलीय और अन्य श्रेणी के विधायकों की संख्या 6 है। मुख्य विपक्षी दल राजद के 22 और कांग्रेस के 4 विधायक हैं।
नीतीश ने कहा कि अगर राजग केंद्र में अगली सरकार बनाना चाहता है तो उसे नये सहयोगियों को जोड़कर अपना दायरा बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा, ‘आप सरकार बनाना चाहते हैं लेकिन गलतफहमी में नहीं रहें। किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिलने जा रहा। किसी को भी प्रधानमंत्री बनाने के लिए 272 सांसदों की जरूरत होगी।’
उन्होंने मोदी को फिर से आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘इसके लिए राजग को और सहयोगी दलों की जरूरत होगी। अगर लोग सोचते हैं कि कोई हवा या आंधी या तूफान उनके पक्ष में चल रहा है तो वे गलतफहमी में हैं।’
भाजपा के मंत्रियों को सरकार से हटाने के फैसले को सही ठहराते हुए नीतीश ने कहा कि उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं नंदकिशोर यादव और सुशील कुमार मोदी को इस बारे में बातचीत के लिए बुलाया था कि शिष्टता के साथ किस तरह रास्ते अलग किये जाएं लेकिन वे नहीं आये।
उन्होंने कहा, ‘खबरें थीं कि भाजपा के मंत्रियों ने कामकाज बंद कर दिया है। इसलिए मैंने नियमित एजेंडा पर कैबिनेट की बैठक बुलाने के बारे में सोचा। लेकिन वे नहीं आये।’ नीतीश ने कहा, ‘इस्तीफा नहीं देना और कामकाज नहीं करना एक साथ नहीं चल सकते। इसलिए हमने 11 मंत्रियों को हटाने की सिफारिश राज्यपाल से की है।’
उन्होंने कहा कि भाजपा की चुनाव अभियान समिति के नये प्रमुख (मोदी) की भाषा समाज के एक वर्ग के लिए ‘डरावनी’ है। जब नीतीश से पूछा गया कि गठबंधन तोड़ना क्या जनता द्वारा बिहार में राजग को दिये जनादेश का उल्लंघन नहीं है तो उन्होंने कहा, ‘जनादेश बिहार के विकास के लिए था।’ जदयू की डेढ़ घंटे चली बैठक में आज तीन पन्नों का प्रस्ताव पारित किया गया।
प्रस्ताव में कहा गया कि गोवा में भाजपा द्वारा चुनाव अभियान समिति के प्रमुख के नाम की घोषणा ने हमारे मन में भविष्य को लेकर गंभीर आशंका पैदा कर दी है। इस बात का जरा भी संदेह नहीं है कि यह उनके (मोदी के) प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर नामांकन की महज रस्म अदायगी के तौर पर प्रस्तावना है।
इसमें कहा गया है,‘यह कहने की जरूरत नहीं कि ये घटनाक्रम (भाजपा में) हमारी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राजनीति की सेहत के लिए ठीक नहीं हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, June 16, 2013, 20:33