Last Updated: Wednesday, January 23, 2013, 13:28

नई दिल्ली : राजनाथ सिंह बुधवार को निर्विरोध रूप से भाजपा के नए अध्यक्ष चुन लिए गए। भाजपा संसदीय बोर्ड द्वारा पार्टी के नए अध्यक्ष के रूप में उनके नाम को मंजूर किए जाने के बाद उन्होंने नामांकन पत्र भरा। किसी और के नामांकन पत्र नहीं भरने पर उन्हें निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने का पार्टी ने ऐलान किया।
आज सुबह संसदीय बोर्ड की बैठक में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अध्यक्ष पद के लिए राजनाथ सिंह नाम की पेशकश करते हुए प्रस्ताव रखा, जिसे निर्वतमान अध्यक्ष नितिन गडकरी सहित सबने एक स्वर स्वीकार कर लिया गया। मंगलवार की शाम को अचानक नाटकीय ढंग से बदलते घटनाक्रम के बीच गडकरी की बजाय किसी अन्य को पार्टी के इस शीर्ष पद पर बैठाए जाने की कवायद शुरू हो गई और अनतत: राजनाथ सिंह पर सबकी सहमति बन गई।
पहले भी पार्टी के अध्यक्ष के रूप में 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की अगुवाई कर चुके सिंह अब 2014 के चुनाव में भी भाजपा की कमान संभालेंगे। मंगलवार शाम तक गडकरी का लगातार दूसरी बार पार्टी के अध्यक्ष का पदभार संभालना एकदम तय लग रहा था। इसके लिए पार्टी के विधान में संशोधन पहले ही किया जा चुका था। लेकिन संदिग्ध निवेश के आरोपों से घिरी गडकरी की पूर्ती कंपनी से जुड़े नौ ठिकानों पर कल आयकर अधिकारियों द्वारा छापे माने जाने के बाद हालात अचानक बदल गए।
पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित कई नेताओं ने आपत्ति जताई कि अनियमितताएं बरतने के आरोप से घिरे किसी व्यक्ति की अगुवाई में 2014 के लोकसभा चुनाव लड़ना भाजपा के लिए बहुत घातक साबित होगा और ऐसी स्थिति में कांग्रेस के विरूद्ध पार्टी की भ्रष्टाचार की लड़ाई बहुत कमजोर हो जाएगी। शाम पांच बजे से गडकरी की जगह किसी अन्य को ढूंढने की कवायद शुरू हुई और रात दस बजे तक राजनाथ सिंह पर आम सहमति बन गई।
गडकरी से अच्छे संबंध नहीं रखने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनाथ सिंह को अध्यक्ष बनाए जाने पर पार्टी में सहमति बनने का स्वागत करते हुए उन्हें बधाई दी। बाद में मोदी ने ट्वीट किया कि मैंने श्री राजनाथ सिंहजी को फोन करके बधाई दी है। उनके साथ संगठन और प्रशासन दोनों का व्यापक अनुभव है। वह अटलजी सरकार में कृषि मंत्री रहे। वह हमेशा से किसानों से जुड़े रहे। भाजपा को इससे लाभ होगा। संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद वरिष्ठ नेता अनंत कुमार ने बताया कि आडवाणी ने अध्यक्ष के रूप में गडकरी द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की सराहना करने वाला अन्य प्रस्ताव भी रखा जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।
पूर्ति कंपनी के ठिकानों पर आयकर छापे मारे जाने के बाद गडकरी के खिलाफ एक बार बगावत का बिगुल बजाते हुए वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने खुला ऐलान किया कि अगर वह अध्यक्ष पद से नहीं हटे तो वह (सिन्हा) उनके विरूद्ध चुनाव लड़ेंगे। वह पार्टी से नामांकन पत्र और मतदाता सूची भी ले आए। इसके बाद पार्टी में गडकरी के खिलाफ माहौल बनने लगा।
गडकरी के इस्तीफा देने और अध्यक्ष पद के लिए राजनाथ सिंह नाम सामने आने पर सिन्हा ने ऐलान किया अब वह इस पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे।
आज सुबह संसदीय बोर्ड की बैठक शुरू होने से पहले 62 वर्षीय सिंह पहले आडवाणी के निवास पर उनसे ‘आर्शीवाद’ लेने गए। इसके बाद वह गडकरी के यहां गए और उनके साथ ही संसदीय बोर्ड की बैठक में शामिल होने के लिए भाजपा मुख्यालय में पंहुचे।
अध्यक्ष घोषित किए जाने के बाद आडवाणी ने कहा, राजनाथ सिंह की जिम्मेदारी अब यह सुनिश्चित करना होगी कि भाजपा में किसी अनैतिक कार्य से किसी तरह का समझौता नहीं होने पाए। उधर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी माने जाने वाले सिंह ने अध्यक्ष बनने के बाद अपने पहले बयान में गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के ‘हिन्दू आतंक’ संबंधी बयान की आलोचना की।
बताया जाता है कि आडवाणी ने अध्यक्ष पद के लिए पहले सुषमा स्वराज का नाम सुझाया था, लेकिन यह तय किया गया कि सुषमा, अरुण जेटली और नरेन्द्र मोदी जैसे पार्टी के अग्रणी नेताओं को अभी उनकी भूमिकाओं में ही रहने दिया जाए। खबरों के अनुसार आडवाणी राजनाथ के नाम पर राज़ी नहीं थे, लेकिन सुषमा पर सहमति नहीं बनने के कारण वह इसके लिए राज़ी हो गए। इससे पहले पार्टी में अपने खिलाफ बगावत होने और अपनी कंपनी से जुड़े ठिकानों पर आयकर के छापों से घिरे गडकरी ने आखिर मंगलवार रात होते होते इस्तीफे की घोषणा कर दी।
खुद को निर्दोष बताने के साथ इस्तीफे का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि उनके कारण पार्टी के हित प्रभावित हों। गडकरी ने दूसरे कार्यकाल की दौड़ से हटते हुए कहा कि ‘मैं जांच पूरी होने तक प्रतीक्षा करूंगा। मैंने तय किया है कि निर्दोष साबित होने तक, मैं दूसरा कार्यकाल नहीं लूंगा। पार्टी नए नेता को देखे और पार्टी जिसे भी चुनेगी, मैं उसे समर्थन और सहयोग दूंगा। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष पद के लिए सिंह के नाम का प्रस्ताव उन्हीं ने किया था, जिसे आडवाणी और सुषमा ने मान लिया। उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह ‘किसान नेता हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने बढिया काम किया है। वह हमारे परिवार की विचारधारा के प्रति वफादार हैं और 2014 के लोकसभा चुनाव में वह हमारा विजयी नेतृत्व कर सकते हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 23, 2013, 09:20