Last Updated: Friday, September 7, 2012, 13:59
ज़ी न्यूज़ ब्यूरो नई दिल्ली : गांधीवादी व सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल के बीच राजनीतिक पार्टी बनाने के विकल्प को लेकर मतभेद गहरा गए हैं। अन्ना ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगी अगर चुनाव लड़ते हैं तो वह उनके लिए प्रचार नहीं करेंगे। अन्ना आंदोलन के जरिए सिर्फ जनता को जगाने के पक्ष में हैं, जिससे जनता योग्य उम्मीदवारों को चुनकर संसद और राज्यों की विधानसभाओं में भेज सके।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे अन्ना हजारे ने गुरुवार को अपनी छह सूत्री रणनीति की घोषणा की। अन्ना के इस ऐलान को आगामी 2 अक्तूबर को नई पार्टी की स्थापना कर दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रही टीम केजरीवाल के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। केजरीवाल ने फिलहाल इस पर प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है। अन्ना की छह सूत्री रणनीति में साफ छवि के प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान, प्रत्याशी खारिज करने का अधिकार पाने के लिए दबाव बनाना पहली प्राथमिकता है। ग्राम सभाओं के अधिकार बढ़ाने, सिटीजन चार्टर, सरकारी कामकाज में लेटलतीफी खत्म करने और पुलिस को लोकपाल या लोकायुक्त के मातहत लाने पर भी उनका जोर रहेगा।
दरअसल अन्ना जंतर-मंतर पर आंदोलन खत्म होने के बाद से ही विरोधाभासी बयान देते आ रहे हैं। लेकिन गुरुवार को जारी अपने बयान में अन्ना हजारे ने साफ तौर पर राजनीतिक पार्टी बनाने और चुनाव लड़ने का विरोध किया है। कोल ब्लॉक आवंटन पर अरविंद केजरीवाल के घेराव आंदोलन पर किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल के बीच मतभेद उभरकर सामने भी आ गए। अन्ना ने भी माना है कि दोनों में इस बात पर मतभेद हैं।
First Published: Friday, September 7, 2012, 09:38