Last Updated: Wednesday, September 12, 2012, 22:54
नई दिल्ली : 2जी मामले में एक गवाह ने बुधवार को एक विशेष अदालत में कहा कि पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने बिना दूरसंचार विभाग से सलाह मशविरा किए प्रधानमंत्री को एक पत्र में लाइसेंस देने की नीति के बारे में लिखा था। मामले में सीबीआई के गवाह के तौर पर गवाही देते हुए पूर्व दूरसंचार अधिकारी ए.के. श्रीवास्तव ने विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी से कहा कि पहले आओ पहले पाओ (एफसीएफएस) की नीति के बारे में दूरसंचार विभाग से चर्चा नहीं की गई थी।
पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा द्वारा की जा रही जिरह में श्रीवास्तव ने कहा, `राजा ने 26 दिसम्बर 2007 को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कम्पनियों को अभिरुचि पत्र (एलओआई) देने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं और एफसीएफएस नीति की जानकारी दी थी।` श्रीवास्तव ने बेहुरा के वकील एस.पी. मिनोचा से कहा, `यह कहना गलत होगा कि यह नीति दूरसंचार विभाग ने तय की थी और बाद में प्रधानमंत्री को बताया गया।` सीबीआई ने आरोप पत्र में आरोप लगाया है कि राजा ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर कुछ कम्पनियों के पक्ष में एफसीएफएस नीति में बदलाव किया था।
सरकारी लेखापरीक्षक के मुताबिक 2जी मामले में सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ है। 2जी स्पेक्ट्रम से सम्बंधित दो अलग-अलग मामलों में राजा सहित 19 व्यक्तियों और छह कम्पनियों को आरोपी बनाया गया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 12, 2012, 22:54