Last Updated: Sunday, August 19, 2012, 19:57

नई दिल्ली : देश के पूर्वोत्तर में अशांति के पुराने इतिहास, क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं एवं उसके मर्म को समझने वाले राजीव गांधी ने 1985 में 14 अगस्त को पूरी रात और सुबह चार बजे तक जगकर असम के विभिन्न पक्षों से चर्चा की और दीर्घकालीन शांति का मार्ग प्रशस्त किया था।
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इसी सप्ताह संसद में कहा कि राजीव गांधी ने वर्ष 1985 में 14 अगस्त की रात और 15 अगस्त सुबह चार बजे तक असम के विभिन्न पक्षों से चर्चा की और पांच बजे इस ऐतिहासिक समझौते को साकार किया।
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में दीर्घकालीन शांति स्थापित करने में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का महत्वपूर्ण योगदान है। राजीव के प्रयासों से ही इस क्षेत्र में संघषर्रत विभिन्न पक्ष एक मंच पर आए और इसकी परिणति समझौते के रूप में हुई।
उन्होंने कहा कि असम समझौता और मिजोरम समझौता राजीव गांधी के प्रयासों का जीता जागता उदाहरण है । हमारे समक्ष अब राजीव गांधी के सपनों को साकार करने की अहम चुनौती है क्योंकि असम में जारी हिंसा और देश के विभिन्न क्षेत्रों से पूर्वोत्तर के लोगों के पलायन से चुनौती उत्पन्न हो गई है।
राजीव गांधी ने अगस्त 1985 में असम समझौता और 1986 में मिजोरम समझौता के माध्यम से पूर्वोत्तर में अशांति समाप्त करने और विकास का मार्ग प्रशस्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की थी। पत्रकार सुबीर भौमिक ने अपनी पुस्तक ‘क्राइसिस आफ इंडिया नार्थ ईस्ट’ में देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति स्थापना में राजीव गांधी की भूमिका की सराहना की है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में स्थायी शांति और अलगाववाद पर पूर्ण अंकुश लगाने के लिए केंद्र को अपने रूख में व्यापक बदालव लाने की जरूरत है। भौमिक ने अपनी पुस्तक में कहा है कि केंद्र को पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास पर ध्यान देना चाहिए और नीति निर्धारण की प्रक्रिया में क्षेत्र के लोगों को शामिल करने की जरूरत है।
राजीव गांधी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति के लिए विशेष तौर पर तत्कालीन गृह सचिव आर डी प्रधान को सौंपा था। 70 के दशक तक बंगाल के लोग बनाम असमिया भाषा के प्रश्न पर संघर्ष 80 के दशक में बांग्लादेशियों के विरूद्ध आंदोलन में बदल गया। बोडो असम की प्रमुख जनजाति है और यह समुदाय भी 80 के दशक से अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन चला रहा है।
नये भारत का सपना संजोने वाले राजीव गांधी के पूर्वोत्तर के विकास के सपना अभी अधूरा दिखता है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, August 19, 2012, 19:57