राज्यों की शक्तियों का अतिक्रमण ना करे केंद्र: जेटली

राज्यों की शक्तियों का अतिक्रमण ना करे केंद्र: जेटली

राज्यों की शक्तियों का अतिक्रमण ना करे केंद्र: जेटलीनई दिल्ली : आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए खुफिया ब्यूरो के तहत एनसीटीसी का गठन करने के केन्द्र के पुनर्प्रयासों की आलोचना करते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने आज कहा कि यह केन्द्र और राज्यों की साझा जिम्मेदारी है और इस मामले में केन्द्र राज्यों पर अविश्वास तथा उनकी शक्तियों का अतिक्रमण करना छोड़े।

पिछले साल 11 राज्यों द्वारा एनसीटीसी (राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी केन्द्र) को अस्वीकार करने के बाद हाल के हैदाराबाद विस्फोट के चलते इसे फिर से लागू करने के केन्द्र के प्रयासों पर जेटली ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा, खुफिया ब्यूरो सुरक्षा संबंधी गतिविधियों की बजाय पिछले कुछ समय से ‘‘राजनीतिक और अर्ध राजनीतिक गतिविधियों’’ में ज्यादा सलंग्न हो गया है। ऐसे में आतंकवाद के विरूद्ध लडाई के नाम पर राज्यों की तलाशी, जब्ती और गिरफ्तार की शक्तियां भी इसे दे देना खतरनाक हो सकता है।

अमेरिका की एनसीटीसी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वह बिना किसी कार्रवाई भागीदारी (ऑपरेशनल इन्वाल्व्मन्ट) के केवल रणनीतिक योजनाएं बनाने और खुफिया सूचनाओं के समाकलन तक सीमित रहता है। भाजपा नेता ने कहा, दूसरी ओर भारत के एनसीटीसी प्रस्ताव में यह ऐसी एजेंसी होगी जो खुफिया कामकाज के अलावा तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी जैसी कार्रवाई में भी संलिप्त होगी। उन्होंने कहा, भारत में एनसीटीसी के तहत खुफिया एजेंसी को दी गई यह शक्ति राज्यों की कानून व्यवस्था संबंधी शक्तियों का अतिक्रमण है और राज्य की सरकारें इसी आधार पर इसका विरोध कर रही हैं, जो जायज़ है।


जेटली ने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार को राज्यों पर विश्वास क्यों नहीं करना चाहिए? कार्रवाई अभियानों में एनसीटीसी राज्य पुलिस के साथ हमेशा समन्वय कर सकती है। क्या इसमें कोई संदेह है कि आतंक-विरोधी कार्रवाइयों में भारत में राज्य पुलिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। अति विशिष्ट मामलों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भी शामिल किया जा सकता है।’’ अपने तर्क को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘एक खुफिया एजेंसी को तलाशी, ज़ब्ती और गिरफ्तारी जैसी आपरेशनल शक्तियां देना खतरनाक होगा। खुफिया ब्यूरो (आईबी) गोपनीय ढंग से काम करता है। यह असंविधिक इकाई है। इसके बजट और खर्च का कोई लेखा जोखा नहीं होता।

पिछले कुछ समय से आईबी के रूप में इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संसाधन को सुरक्षा संबंधी गतिविधियों की बजाय राजनीतिक और अर्ध-राजनीतिक गतिविधियों में लगा दिया गया है। इस प्रवृत्ति को सख्ती से रोका जाना चाहिए।’’ भाजपा नेता ने कहा, आईबी का काम-काज राजनीतिक या जांच संबंधी नहीं होना चाहिए। इस एजेंसी को खुफिया सूचनाओं को एकत्र करने, उनका आंकलन करने और संबंधित पक्षों से साझा करने तक सीमित होना चाहिए। ‘‘एनसीटीसी का भी यही कार्य होना चाहिए।’’

उधर पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘‘एनसीटीसी संबंधी विधेयक उद्देश्य से भटका हुआ है। यह राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण करते हुए खुफिया ब्यूरो को देश में कहीं भी गिरफ्तारी करने की शक्ति प्रदान करता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा नहीं होता।’’ हाल के हैदराबाद विस्फोट के बाद गृह मंत्री सुशीलकुमार शिन्दे द्वारा आतंकवाद के विरूद्ध एक केन्द्रीय इकाई बनाए जाने की जरूरत बताए जाने के बाद यह विवाद फिर उभर गया है। सरकार ने एनसीटीसी के गठन के बारे में मार्च 2012 में अधिसूचना जारी की थी लेकिन यह लागू नहीं हो सका, क्योंकि अधिकतर राज्य सरकारों ने इसे ‘‘संविधान विरोधी’’ तथा भारतीय संघीय ढांचे के विरूद्ध बता कर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया था। (एजेंसी)

First Published: Monday, February 25, 2013, 18:43

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