Last Updated: Tuesday, August 28, 2012, 14:37

नई दिल्ली : पूर्व कॉपरेरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की बातचीतों के टेप लीक होने की जांच पर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र को आढ़े हाथ लेते हुए कहा कि उसकी जांच रिपोर्ट शायद ही संतोषजनक है।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित तंत्र नहीं लाने के लिए केंद्र की नाकामी की भी आलोचना की।
केंद्र ने न्यायालय में दलील दी कि लीक उसकी ओर से और न ही उसके अधिकारियों से हुआ । इस पर पीठ ने कहा कि जांच रिपोर्ट शायद ही संतोषजनक हैं । लीकेज के लिए किसी की जिम्मेदारी अवश्य होनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं हो इसे रोकने के लिए कोई बात नहीं कही गई है। अगर आप इसकी हिफाजत नहीं कर सकते तो आप टैप क्यों करते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सरकार द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट में किसी भी विभाग को खासतौर से क्लिन चिट नहीं दी गई है। टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने 29 नवंबर 2010 को शीर्ष न्यायालय की शरण ली थी और इन टेपों को लीक करने में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि लीक होना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले उनके जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है जिसमें निजता का अधिकार शामिल है।
सरकार ने इस बातचीत को वित्त मंत्री को 16 नवंबअर 2007 को मिली शिकायत के आधार पर आयकर महानिदेशालय (जांच) के आदेश के बाद रिकॉर्ड किया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि राडिया ने नौ साल के भीतर 300 करोड़ रुपये का कारोबार खड़ा कर लिया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 28, 2012, 13:50