Last Updated: Friday, December 16, 2011, 14:56
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आज कहा गया कि रामलीला मैदान में आधी रात को योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर कार्रवाई का फैसला केंद्र ने पहले ही ले लिया था और पुलिस ने अपने राजनीतिक आकाओं को संतुष्ट करने के लिए इसे अंजाम दिया।
न्यायमित्र के रूप में शीर्ष अदालत की मदद कर रहे वकील राजीव धवन ने गृह मंत्री पी. चिदंबरम के एक साक्षात्कार का हवाला दिया जिसमें उन्होंने खुद कहा था कि यह फैसला किया गया था कि अगर रामदेव आंदोलन करते हैं तो उन्हें शहर से बाहर ले जाया जाएगा। धवन ने न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ से कहा, ‘इससे पता चलता है कि फैसला ले लिया गया था लेकिन बातचीत जारी रहने के बीच टाल दिया गया और जब वार्ता विफल रही तो पुलिस को फैसले पर अमल करने के लिए कहा गया।’
उन्होंने सरकार के इस दावे को खारिज कर दिया कि उसे रामलीला मैदान के सभी घटनाक्रमों की जानकारी नहीं थी जहां अनशन चल रहा था। धवन ने कहा, ‘यह मानना संभव नहीं है कि गृह सचिव को सभी जानकारी नहीं दी गयीं और यह भी नहीं माना जा सकता कि गृह मंत्री को यह नहीं दी गयीं।’ उन्होंने कहा, ‘यह उनके (पुलिस के) राजनीतिक आकाओं को संतुष्ट करने के लिए आधी रात में अचानक की गई कार्रवाई थी।’
उन्होंने कहा, ‘गृह मंत्री और पुलिस आयुक्त मिलकर फैसला कर रहे थे कि बाबा रामदेव के साथ क्या किया जाना है।’ उन्होंने यह दलील भी दी कि केंद्र अन्ना हजारे को सुबह गिरफ्तार करके उनके साथ भी ऐसा करने की योजना बना रहा था लेकिन ऐसा नहीं कर सका।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 16, 2011, 20:27