राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका रद्द

राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका रद्द

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें ललित कला अकादमी के तीन शीर्ष पदों पर व्यक्तियों के चयन के लिए गठित समिति के सदस्यों में सरयू वी. दोषी को शामिल किए जाने के राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती दी गई थी।

मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला ने कहा, ‘..क्योंकि अंतिम फैसला भारत के राष्ट्रपति पर छोड़ा जाता है। इस तरह का फैसला तब तक गलत नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि नामित व्यक्ति चयन समिति में नामित किए जाने के अयोग्य न हो।’

अदालत का फैसला अकादमी में पिछले 10 साल से काम कर रहे कलाकार प्रशांत कालिता द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर आया। कालिता ने दावा किया था कि नियमों के तहत अकादमी के पूर्व अस्थाई अध्यक्ष दोषी को राष्ट्रपति द्वारा तीन व्यक्तियों के नामों के चयन के लिए गठित समिति का सदस्य नियुक्त नहीं किया जा सकता।

जनहित याचिका में कहा गया, ‘संविधान मेमोरंडम ऑफ एसोसिएशन के नियमों के तहत केवल पूर्व अध्यक्ष को ही राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति के सदस्यों में से एक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।’ इसमें यह भी कहा गया कि दोषी अकादमी के सिर्फ अस्थाई अध्यक्ष थे। चयनित तीन उम्मीदवारों में से एक को अकादमी का अध्यक्ष पद मिलेगा।

मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन ने यह कहते हुए तर्क को खारिज कर दिया कि मेमोरंडम ऑफ एसोसिएशन ऐसे अस्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति की शक्ति प्रदान करता है, जो अध्यक्ष के सभी कार्यों को अंजाम देने का अधिकार रखता हो। चयन समिति द्वारा जिन तीन नामों का चयन किया जाना है, उनमें से एक अशोक वाजपेयी की जगह लेगा।

दोषी के नाम को चयन समिति में इस आधार पर चुनौती दी गई कि वह सिर्फ अस्थाई अध्यक्ष थीं। अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘चयन समिति की भूमिका सिर्फ वर्णक्रम के हिसाब से तीन लोगों के नामों की सूची तैयार कर इसे राष्ट्रपति के पास भेजना है, जो तीन लोगों की सूची में से किसी एक को अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त करेंगे।’ (एजेंसी)

First Published: Sunday, October 7, 2012, 18:46

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