संगमा ने कहा-प्रणब का पर्चा रद्द हो, सरकार ने कहा-नहीं

राष्ट्रपति चुनाव: संगमा ने प्रणब के नामांकन को दी चुनौती

नई दिल्ली : राष्ट्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार पी ए संगमा ने अपने प्रतिद्वन्द्वी और संप्रग प्रत्याशी प्रणव मुखर्जी के लाभ के पद पर आसीन होने का दावा करके उनका नामांकन खारिज करने की मांग की, जिसके कारण नामांकन की छानबीन (स्कूट्रनी) कल तक के लिए टाल दी गयी है। उधर सरकार ने संगमा के आरोप को खारिज कर दिया है।

सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावकों और अनुमोदकों की सूची में अनियमितता जैसी कुछ आपत्तियां संगमा की उम्मीदवारी पर भी उठायी गयी हैं। 19 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से नामांकन दाखिल करने वाले 86 उम्मीदवारों में से कुछ ने इस तरह की आपत्तियां दर्ज कराई हैं।

संगमा ने राज्यसभा के महासचिव और राष्ट्रपति पद के चुनाव के निर्वाचन अधिकारी वी के अग्निहोत्री के समक्ष लिखित में दावा किया कि मुखर्जी भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (आईएसआई) के अध्यक्ष के नाते लाभ के पद पर आसीन हैं, इसलिए उनका नामांकन पत्र रद्द किया जाना चाहिए।

संगमा के वकील सतपाल जैन ने मुखर्जी की दावेदारी पर आपत्ति दर्ज कराई। मुखर्जी और संगमा की उम्मीदवारी पर सवाल उठाये जाने के मद्देनजर स्कूट्रनी की प्रक्रिया कल तक के लिए टाल दी गयी है ताकि उन्हें औपचारिक तौर पर प्रतिक्रिया का अवसर मिले।

सरकार ने संगमा के इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि पूर्व वित्त मंत्री अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से कुछ दिन पहले ही भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (आईएसआई) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं।

संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा, मुखर्जी 20 जून, यानी अपना नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख (28 जून) से एक हफ्ते पहले ही आईएसआई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं।

मुखर्जी के अधिकृत प्रतिनिधि बंसल ने बताया कि संगमा के आरोप के बाद उन्होंने और गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मुखर्जी से मुलाकात की और उन्होंने स्पष्ट किया कि वह नामांकन पत्र भरने से काफी पहले ही उक्त पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि संगमा का आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत, कानूनी रूप से व्यर्थ और असमर्थनीय है।

बंसल ने बताया कि संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार कल अपराहन तीन बजे से पहले निर्वाचन अधिकारी को संगमा के आरोप का जवाब सौंप देंगे। बंसल ने कहा कि अग्निहोत्री ने जब छानबीन के लिए नामांकन पत्रों को लिया तो मुखर्जी और संगमा दोनों की उम्मीदवारी पर कुछ आपत्तियां आई हैं। उन्होंने कहा कि संबंधित पक्षों और निर्वाचन अधिकारी को आपत्तियों पर निर्णय लेने के लिए समय चाहिए।

सूत्रों ने बताया कि संगमा से अपनी उम्मीदवारी पर उठी आपत्तियों पर प्रतिक्रिया देने को कहा गया है। मुखर्जी से अपराह्न दो बजे तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है। निर्वाचन अधिकारी दोनों पक्षों को अपराह्न तीन बजे सुन सकते हैं और उसके बाद अपना निर्णय सुना सकते हैं।

आज नामांकन पत्रों को जब जांच के लिए लिया गया तो संगमा अपने अधिकृत प्रतिनिधि के साथ खुद मौजूद थे जबकि मुखर्जी की ओर से बंसल और गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने प्रतिनिधित्व किया। 30 जून को नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन तक 86 लोगों की ओर से कुल 106 नामांकन पत्र दाखिल किये गये हैं । 28 लोगों की ओर से दाखिल 33 नामांकन पत्रों को सीधे खारिज कर दिया गया क्योंकि इसमें जरूरी दस्तावेज का अभाव था।

सूत्रों ने कहा कि निर्वाचन अधिकारी के पास राष्ट्रपति और उप.राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत नामांकन पत्रों की छानबीन स्थगित करने का अधिकार है। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने दावा किया कि उनकी पार्टी के पास उपलब्ध जानकारी के मुताबिक मुखर्जी ने आईएसआई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि लोकसभा सचिवालय और आईएसआई दोनों की वेबसाइटों पर आज पूर्वाह्न 11 बजे तक मुखर्जी को भारतीय सांख्यिकीय संस्थान का अध्यक्ष बताया गया।

प्रसाद ने इस बात पर भी जोर दिया कि लाभ के पद के तहत आईएसआई का अध्यक्ष होने के लिए छूट का नियम केवल सांसदों और विधायकों पर लागू होता है और राष्ट्रपति पर नहीं। उन्होंने चुनाव आयोग से भी अनुरोध किया कि आईएसआई के सारे दस्तावेज सीज कर लिये जाएं ताकि इनमें किसी तरह की छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं रहे। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, July 3, 2012, 00:57

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