Last Updated: Thursday, March 29, 2012, 10:52
नई दिल्ली: राज्यसभा में गुरुवार को सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ा। विपक्षी दलों के साथ ही सरकार में शामिल व बाहर से समर्थन दे रहे कुछ दलों के विरोध के चलते सीमा सुरक्षा बल संशोधन विधेयक को टालना पड़ा और व्हिसल ब्लोअर संबंधी विधेयक पर चर्चा ही शुरू नहीं हो सकी। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को दोपहर करीब तीन बजे पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा।
विपक्ष, वाम तथा तृणमूल कांग्रेस, बसपा और सपा के सदस्यों ने सीमा की निगरानी करने वाले सीमा सुरक्षा बल को राज्यों में भी तैनाती करने संबंधी बीएसएफ संशोधन विधेयक के प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसमें यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यह अर्धसैनिक बल केवल राज्यों की अनुमति से ही तैनात किया जाएगा। इन दलों के नेताओं की मांग थी कि इस विधेयक पर होने वाली चर्चा को 16 अप्रैल को राष्ट्रीय आतंकवादी रोधी केंद्र (एनसीटीसी) मुद्दे पर आयोजित होने वाली मुख्यमंत्रियों की बैठक तक के लिए टाल दिया जाए।
विपक्षी सदस्यों का कहना था कि मुख्यमंत्रियों की बैठक में अन्य मुद्दों के साथ बीएसएफ की तैनाती के विषय पर भी चर्चा हो सकेगी और उसके बाद सदन में इस पर चर्चा करायी जा सकती है।
गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सदस्यों की आशंकाओं को सर्वथा निर्मूल बताते हुए कहा कि भारतीय संविधान में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि बीएसएफ सहित किसी भी अर्धसैनिक बल को राज्य के अनुरोध के बिना तैनात ही नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मूल बीएसएफ कानून में चूंकि इस तरह का प्रावधान है कि उन्हें सीमायी क्षेत्रों के अलावा कहीं और तैनात नहीं किया जा सकता। लिहाजा देश के अन्य भागों में बल की तैनाती के लिए मूल कानून में संशोधन की कानूनी जरूरत है। चिदंबरम ने कहा कि बीएसफ संशोधन कानून से राज्यों के अधिकारों का किसी भी तरीके से हनन नहीं होगा।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, March 29, 2012, 21:11