Last Updated: Sunday, July 22, 2012, 23:45

पटना : राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक एवं संरक्षक के एन गोविंदाचार्य का मानना है कि राहुल गांधी की तुलना में कांग्रेस में दिग्विजय सिंह ज्यादा बेहतर प्रधानमंत्री सिद्ध होंगे। पटना में आज संवाददाताओं से गोविंदाचार्य ने कहा कि राहुल गांधी की तुलना में कांग्रेस में दिग्विजय सिंह ज्यादा बेहतर प्रधानमंत्री सिद्ध होंगे।
उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह को कांग्रेस के राजनीतिक हित और अहित का ख्याल ज्यादा रहता है और केंद्र में भी मंत्री रह चुके हैं। वह प्रदेश में भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं तथा उन्हें कांग्रेस के अन्य लोगों की तुलना में प्रशासन का अनुभव ज्यादा है।
गोविंदाचार्य ने कहा, अगर मुझसे पूछा जाएगा तो वह यह कहेंगे कि राहुल गांधी की तुलना में दिग्विजय सिंह बेहतर प्रधानमंत्री होंगे। यह पूछे जाने कि सोनिया गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनने से रोके जाने के लिए आंदोलन खड़ा किया गया था और अब उक्त पद के लिए राहुल को प्रस्तुत किया जा रहा है, इस पर गोविंदाचार्य ने कहा, फिलहाल यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है और हमारे यहां पिता से वंश को माना जाता है।
उन्होंने कहा कि कई लोग इटली के संविधान का हवाला देते हुए सवाल खडा कर सकते हैं, लेकिन इस विषय पर वे अभी कुछ नहीं कहेंगे। वैसे कुछ लोग इसको इटली से जोड कर देखते हैं क्योंकि इटली के संविधान में यह विशेष प्रावधान है कि एक बार वहां का नागरिक होने पर कोई भी नागरिकता छोड नहीं सकता और जब भी वह वहां पहुंचेगा स्वभाविक रूप से वहां का नागरिक मान लिया जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने में कोई दिक्कत नहीं है, गोविंदाचार्य ने कहा, बनना तो बहुत दूर की बात है। मुझे लगता ही नहीं है कि वह प्रधानमंत्री बनेंगे, क्योंकि वह खत्म हो गये कारतूस हो चुके हैं, राजनीति में उनकी परीक्षा हो चुकी है वे कोई नौसिखिये बच्चे नहीं है, वे असफल करार दिए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस की अपनी लाचारी है तो उनको मुबारक।
उन्होंने कहा कि देश में वर्तमान में केंद्र में सत्ता पर काबिज लोगों ने साफ कर दिया है कि एक खानदान के अलावा बाहर देखने की उनकी दृष्टि हो ही नहीं सकती, वे मायोपिया (दूर-दृष्टि) के रोग से ग्रसित हैं।
गोविंदाचार्य ने कहा कि अब यह उनका अधिकार है कि वे ‘असफल सिद्ध हो चुके (प्रुवेन फेल्योर)’ का प्रयोग करें, जबकि दूसरी तरफ विपक्ष में न सूत है न कपास, फिर भी लमहामेधाम-लमहामेधा जारी है और उनके बीच प्रधानमंत्री पद को लेकर यह व्यर्थ का विवाद है कि नरेंद्र मोदी या नीतीश कुमार।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर इन दोनों से बेहतर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, डा सुब्रहमन्यम स्वामी और सुषमा स्वराज हैं। गोविंदाचार्य ने कहा कि ये सारी चीजें ‘स्वसंवर्धित योजना (सेल्फ प्रोमोशन स्कीम)’ के तहत हैं। यह पूछे जाने पर कि वे नरेंद्र मोदी को धर्म निरपेक्ष मानते हैं, गोविंदाचार्य ने कहा ‘मानने या न मानने से फर्क नहीं पडता। मैं ऐसा मानता हूं कि 2002 के दंगों में सत्ता की अधिक प्रभावी भूमिका उपद्रवों की रोकथाम के लिए होनी चाहिए थी।
गोविंदाचार्य ने कहा कि उनका मानना है कि लोकतंत्र का स्वरूप धनबल के कारण विकृत हुआ है और लोकतंत्र में गिरावट आते-आते वह ‘भ्रष्टाचारतंत्र’ (कापरेरेटोकरेसी) की शक्ल अख्तयार कर रही है। उन्होंने कहा कि जब लोकतंत्र भ्रष्टाचारतंत्र की शक्ल अख्तयार कर लेता है तो कोका कोला और पेप्सी कोला की अंतरस्पर्धा का स्वरूप ले लेता है। कोका कोला और पेप्सी कोला का रूप धारण कर चुके सत्तापक्ष और विपक्ष आपस में तो प्रतिस्पर्धा करते हैं पर किसी तीसरे को मैदान में आने नहीं देते हैं।
गोविंदाचार्य ने कहा कि इसी प्रकार से चाहे वह सप्रंग हो या राजग दोनों विदेश और अमीर परस्त हैं और कोका कोला और पेप्सी कोला की अंतरस्पर्धा की तर्ज पर इनकी यह मिली-जुली नूरा-कुश्ती जनता के हित की कीमत पर हैं।
भाजपा के बीच अंदरूनी खींचतान और गुटबंदी के बारे में पूछे जाने पर गोविंदचार्य ने कहा कि व्यापक उदार लक्ष्य का विस्मरण यानि बडे लक्ष्य विस्मरण होने पर महात्वकांक्षाएं आती हैं।
उन्होंने कहा ‘मैं प्रधानमंत्री बनूं पार्टी का चाहे जो हो, यह तभी होता है जब पार्टी द्वारा जनता के कल्याण का व्यापक उद्देश्य दिमाग से हट जाता है, ऐसे में पाने-बनने-पहुंचने की टुच्ची सोच हावी हो जाती है’।
गोविंदाचार्य ने कहा कि भाजपा की स्थापना किसी व्यक्ति विशेष को कुछ बनाने के उद्देश्य से नहीं की गयी थी बल्कि इसकी स्थापना अंतिम आदमी की हित की रक्षा के लिए हुई थी।
उन्होंने कहा कि भाजपा की वर्तमान समस्याओं के लिए उसमें वैज्ञानिक कार्यशाली और फिल्टरिंग मैकेनिज्म का अभाव है जिसमें निर्णय करने का फोरम ही न बचे ऐसे में लोग गैर जवाबदेह हो जाते हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 22, 2012, 23:45