Last Updated: Tuesday, October 9, 2012, 21:53

नई दिल्ली : कृषि मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को बहुब्रांड खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश का स्वागत किया और कहा कि इससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा। पवार ने यहां आर्थिक सम्पादकों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से मूल्य और आपूर्ति श्रंखला में सभी पक्ष को लाभ होना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि किसानों के लिए फसल की कटाई के बाद नुकसान घटेगा और उनकी उपज के लिए उन्हें बेहतर कीमत मिलेगी, जबकि उपभोक्ताओं को कम कीमत तथा बेहतर गुणवत्ता का लाभ मिलेगा।
सत्ताधारी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख पवार ने पहले भी बहुब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई का समर्थन किया था।
मंत्री ने यह भी कहा कि बारिश में कमी के कारण अनाज का उत्पादन थोड़ा प्रभावित हुआ।
पवार ने कहा, कुल खाद्यान्न उत्पादन के औसत 11.886 करोड़ टन से 16.8 लाख टन कम रहने का अनुमान है। यह हालांकि औसत उत्पादन से सिर्फ 1.4 फीसदी कम है।
पिछले साल खाद्यान्न का उत्पादन रिकार्ड 25.744 करोड़ टन हुआ था।
उन्होंने कहा कि अगस्त और सितम्बर में हुई व्यापक बारिश रबी फसल के लिए अच्छा है, क्योंकि मिट्टी में नमी बढ़ गई है।
मंत्री ने कहा, देर से हुई बारिश और मिट्टी में नमी से खरीफ फसलों में हुए नुकसान की रबी मौसम में भरपाई होगी।
मंत्री ने कहा कि ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में औसत कृषि विकास दर 3.3 फीसदी थी, जो पहले से बेहतर है और 12वीं पंचवर्षीय योजना में इसे चार फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
पवार ने कहा कि भारत दुनिया में कृषि उपज का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन चुका है। भारत ने एक करोड़ टन चावल, 25 लाख टन गेहूं, 25 लाख टन चीनी और 40 लाख गांठ कपास का निर्यात किया है। भारत चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
पवार ने कहा कि भारत को कृषि निर्यात पर उतार-चढ़ाव वाली नीति की जगह दीर्घकालिक आयात-निर्यात नीति अपनानी चाहिए।
पवार ने कहा, जब भी अभाव होता है हम घरेलू खपत के लिए आपूर्ति बनाए रखने के लिए निर्यात रोक देते हैं।
उन्होंने कहा, लेकिन अब लम्बी अवधि की आयात-निर्यात नीति पर आगे बढ़ने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से किसी भी कृषि उत्पाद के निर्यात पर रोक नहीं लगाई गई। उन्होंने कहा, हम इस नीति को जारी रखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि देश के पास सात करोड़ टन अनाज का भंडार है, जबकि जरूरत सिर्फ 2.12 करोड़ टन की ही है। उन्होंने बताया कि कृषि निर्यात 2010-11 के 1.20 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2011-12 में 1.87 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो 50 फीसदी की बढ़त है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 9, 2012, 21:53