Last Updated: Tuesday, June 4, 2013, 22:15

नई दिल्ली : सीबीआई ने मंगलवार को पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल से रेल घूसकांड मामले में छह घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की। यह मामला उनके भांजे और रेलवे बोर्ड के सदस्य महेश कुमार से जुड़ा हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि बंसल को सुबह 11 बजे सीबीआई के गेस्ट हाउस में बुलाया गया, ताकि मीडिया से बचा जा सके। मीडिया सीबीआई मुख्यालय के बाहर जुट गई थी। यह गेस्ट हाउस एजेंसी के मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर स्थित है। उन्होंने बताया कि बंसल से शाम छह बजकर 45 मिनट तक पूछताछ की गई। इस दौरान तकरीबन डेढ़ घंटे का भोजनावकाश रहा।
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई कथित घूसकांड में क्या बंसल की कोई भूमिका थी, इसकी जांच करना चाहती है। बंसल से कुमार के साथ उनकी बैठक, बोर्ड सदस्य के तौर पर उनकी पदोन्नति और महाप्रबंधक (पश्चिम) का अतिरिक्त प्रभार सौंपने के संबंध में उनसे कई सवाल पूछे गए।
कुमार ने कथित तौर पर रेलवे बोर्ड सदस्य (स्टाफ) के तौर पर पदोन्नति के बाद महाप्रबंधक (पश्चिम) का अतिरिक्त प्रभार अपने पास रखे रहने के लिए बंसल के भांजे को 90 लाख रुपये का भुगतान किया था। यह रकम कथित तौर पर 10 करोड़ के सौदे का हिस्सा था, जो कुमार का रेलवे बोर्ड में सदस्य (इलेक्ट्रिकल) के तौर पर उन्नयन करने के लिए सिंगला और कुमार के बीच हुआ था।
सिंगला और कुमार को तीन मई को सीबीआई ने हिरासत में ले लिया था, जब उसने सिंगला को 90 लाख रुपये की कथित रिश्वत की रकम के साथ गिरफ्तार किया था। सूत्रों ने दावा किया कि एजेंसी ने बंसल की टैप की गई फोन बातचीत, कॉल विवरण रिकॉर्ड से सामना कराया और उनसे पूछा कि कैसे सिंगला कुमार को उन्नयन के बारे में आश्वस्त करने में सक्षम था, जब उसने इस मामले पर उनके साथ चर्चा नहीं की थी।
बंसल का सामना जांच एजेंसी ने रेलवे बोर्ड के निलंबित सदस्य के साथ इस साल 16 अप्रैल को मुंबई में हुई बैठक के बारे में जुटाए गए सबूतों के साथ कराया।
सूत्रों ने बताया कि चंडीगढ़ के सांसद ने सिंगला और कुमार के बीच कोई सौदा होने के बारे में किसी भी तरह की जानकारी से इंकार किया। उन्होंने पूरे प्रकरण में खुद के निर्दोष होने का दावा किया और कहा कि उन्होंने बोर्ड सदस्य के रूप में कुमार के उन्नयन के बारे में कोई आश्वासन नहीं दिया था। बंसल ने दावा किया कि कुमार के साथ मुंबई यात्रा के दौरान हुई बैठक प्रोटोकॉल का हिस्सा थी क्योंकि कुमार महाप्रबंधक थे और रेल मंत्री होने के नाते कुमार का उनसे मिलना अनिवार्य था।
बंसल ने कथित तौर पर 16 अप्रैल को कुमार से मुलाकात की थी और एजेंसी ने दावा किया कि इसी बैठक में कुमार की नियुक्ति की पुष्टि हुई थी। कुमार तब महाप्रबंधक (पश्चिम) थे। सूत्रों ने बताया कि एजेंसी बंसल को फिर बुला सकती है लेकिन इसपर फैसला अब तक जांच एजेंसी द्वारा जुटाए गए सबूतों के आलोक में उनके जवाब का परीक्षण करने के बाद किया जाएगा।
बंसल कहते रहे हैं कि कुमार को रेलवे बोर्ड का सदस्य नियुक्त करने में उन्होंने कोई गलती नहीं की है। वह पद भारत सरकार के सचिव के पद के समकक्ष है। बंसल को अपने भांजे के कथित तौर पर रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद रेल मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
सीबीआई नियुक्ति से संबंधित सारी फाइलें हासिल कर चुकी है और बंसल के निजी सचिव राहुल भंडारी का बयान दर्ज कर चुकी है।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि वे उस ‘प्राधिकार की भूमिका को समझना चाहते हैं, जिसे कुमार के पद को सदस्य (स्टाफ) से सदस्य (इलेक्ट्रिकल) के तौर पर बदलना था और उन्हें महाप्रबंधक (पश्चिम) का अतिरिक्त प्रभार रखे रहने देता।’ बोर्ड के सदस्यों की लैटरल शिफ्टिंग उसी तरीके से होती है जैसे नए सदस्यों की नियुक्ति। इसे सतर्कता अनुमति और मंत्रिमंडल की नियुक्ति मामलों की समिति की मंजूरी के बाद अंतिम रूप दिया जाता है।
सूत्रों ने बताया कि टैप की गई कुछ टेलीफोनिक बातचीत है, जिसे बंसल से पूछताछ के दौरान उनके सामने रखा जा सकता है। महेश कुमार और सिंगला की निगरानी रखे जाने के दौरान 1000 से अधिक फोन कॉल टैप किए गए। सीबीआई ने मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 4, 2013, 22:15